मप्र में कांग्रेस की भाजपा को घेरने की मुहिम

भोपाल 24 जून (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में कुछ समय बाद 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है। इसके मद्देनजर कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को घेरने की मुहिम शुरू कर दी है। विपक्षी पार्टी ने इसकी शुरुआत कोरोनाकाल में पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी को मुद्दा बनाकर की है।
राज्य में कांग्रेस को डेढ़ दशक बाद सत्ता हासिल हुई थी, मगर महज 15 माह ही सत्ता में रह सकी। उसके 22 तत्कालीन विधायकों ने बगावत कर सरकार को गिरा दिया और भाजपा एक बार फिर सत्ता में लौट आई है।
राज्य के सियासी गणित के हिसाब से आगामी समय में होने वाले 24 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन चुनावों की जीत और हार पर आगामी समय की सियासत की दिशा टिकी हुई है। भाजपा को इन 24 सीटों में से कम से कम नौ सीटें जीतना जरूरी है। ऐसा होने पर ही भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल कर सकेगी।
विधानसभा की 230 सीटों में से पूर्ण बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत है, जबकि भाजपा के वर्तमान में 107 विधायक हैं।
कांग्रेस की कोशिश 24 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की है। इसके लिए पार्टी द्वारा लगातार रणनीति बनाई जा रही है। कांग्रेस जहां बेहतर उम्मीदवार के चयन के लिए सर्वे करा रही है, वहीं आंदोलन की रणनीति पर भी काम कर रही है। कांग्रेस के आह्वान पर प्रदेश में कांग्रेस नेताओं ने बुधवार को प्रदर्शन किया और कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की कोशिश की।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कहना है कि जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी, उस समय पेट्रोल के दाम बढ़े थे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साइकिल से प्रदर्शन करने निकले थे, अब दाम बढ़े हैं तो उन्हें जनता के हित में सड़क पर आकर साइकिल चलानी चाहिए और केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि वह सिर्फ ड्रामा करते रहे हैं। आने वाले समय में प्रदेश की जनता उन्हें सबक सिखाएगी।
दिग्विजय सिंह के आरोप का जवाब देते हुए गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि दोनों पार्टियों की सोच में अंतर है। कांग्रेस ने पेट्रोल के दाम में इजाफा आईफा अवार्ड के लिए राशि जुटाने के मकसद से किया था, वहीं भाजपा ने पेट्रोल के दाम कोरोना से लड़ाई लड़ने के लिए बढ़ाए हैं।
राजनीतिक विश्लेशक अरविंद मिश्रा का कहना है कि यह तो तय है कि राज्य में होने वाले उपचुनाव रोचक होंगे। दोनों ही दल एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं, क्योंकि यह उपचुनाव सत्ता में बने रहने या उसमें बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस आस लगाए बैठी है कि 24 क्षेत्रों के मतदाता उसके साथ होंगे, क्योंकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जनमत उसके साथ था। यही कारण है कि कांग्रेस ज्यादा आक्रामक होने की कोशिश कर रही है।
दूसरी ओर, भाजपा कांग्रेस द्वारा जनता से की गई कथित वादाखिलाफी को मुद्दा बना रही है। जनता किसके साथ खड़ी होती है, यह तो उपचुनाव के नतीजे ही बताएंगे।
Created On :   24 Jun 2020 7:01 PM IST