कोरोना पर सरकार: देश में 75.3 प्रतिशत मृतक 60 साल से ऊपर के, अब तक 488 मौतें, 14792 संक्रमित

कोरोना पर सरकार: देश में 75.3 प्रतिशत मृतक 60 साल से ऊपर के,  अब तक 488 मौतें, 14792 संक्रमित
कोरोना पर सरकार: देश में 75.3 प्रतिशत मृतक 60 साल से ऊपर के, अब तक 488 मौतें, 14792 संक्रमित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि कोरोनावायरस महामारी से मरने वाले 75.3 प्रतिशत लोग 60 वर्ष के ऊपर के हैं। मंत्रालय ने कहा कि भारत में कोरोनावायरस से मृत्युदर करीब 3.3 प्रतिशत है और हाइड्रोक्लोरोक्वीन(एचसीक्यू) के साइड-इफेक्ट के बारे में शोध जारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कोरोनावायरस की वजह से देश में मृत्यु दर 3.3 प्रतिशत है।

मृतकों के आयु वर्ग की विस्तृत जानकारी देते हुए अग्रवाल ने कहा कि 14.4 प्रतिशत लोग 0 से 45 वर्ष के उम्र के हैं। 10.3 प्रतिशत लोग 45-60 वर्ष के हैं। 33.1 प्रतिशत लोग 60-75 वर्ष के हैं। 42.2 प्रतिशत लोग 75 वर्ष और इससे अधिक उम्र के हैं। कोरोना संक्रमण से लोगों का रिकवरी रेट 13.85 प्रतिशत है। 

देश में कोरोना वायरस से अब तक 488 लोगों की मौत 
देश में शनिवार की शाम तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 14,792 तक पहुंच गई। अब तक 488 मरीजों की मौत होने की जानकारी देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस समय 12,289 मामले सक्रिय हैं। मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि देशभर से मिली सूचनाओं के मुताबिक, कोराना से हुई मौतों का आंकड़ा 488 तक पहुंच गया है। सबसे ज्यादा 201 मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं, दूसरे पायदान पर मध्यप्रदेश है, जहां से अब तक 69 लोगों की मौत होने की खबर है। मंत्रालय ने बताया कि 2,014 मरीज स्वस्थ हो गए हैं, इलाज पूरा होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 3,323 संक्रमित
मंत्रालय से जारी आंकड़े के मुताबिक, महाराष्ट्र में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,323 हो गई है। दूसरे पायदान पर दिल्ली है, जहां 1,707 लोग संक्रमित हैं। मध्यप्रदेश में 1,355, तमिलनाडु में 1,323 और राजस्थान में 1,267 लोग संक्रमित हैं, जिनका उपचार विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, शनिवार को कुल 3,72,123 लोगों के नमूने लिए गए हैं।

कोई ट्रायल स्टडी नहीं हुई
आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर ने एससीक्यू साइड-इफेक्ट के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, इस बारे में कोहर्ट स्टडी हुई है, जबकि अभी तक कोई ट्रायल स्टडी नहीं हुई है, क्योंकि ट्रायल के लिए सबूत उपलब्ध नहीं है। गंगाखेड़कर ने कहा कि एससीक्यू के अध्ययन के लिए कम से कम 480 रोगियों की जरूरत होती है और इसके लिए कम से कम आठ हफ्ते या ढाई महीने के वक्त की जरूरत होती है। लॉकडाउन के समय में, स्टडी पर कार्य करना मुश्किल है। इसलिए हमने अन्य अध्ययन शुरू किया। 

एससीक्यू से पेट में दर्द की सबसे ज्यादा शिकायत
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों ने एचसीक्यू के बारे में बात करना शुरू किया, क्योंकि उन्होंने इस बारे में सुना था कि इस पर अध्ययन शुरू होने वाला है। इन लोगों की औसत आयु 35 वर्ष थी। इसमें सबसे ज्यादा साइड-इफेक्ट के रूप में पेट में दर्द सामने आया, जोकि करीब 10 प्रतिशत है। करीब छह प्रतिशत लोगों ने मिचली की शिकायत दर्ज कराई। जबकि हाइपोग्लेसिमिया से पीड़ित लोग 1.3 प्रतिशत थे। उन्होंने कहा कि इन 22 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को मधुमेह, ब्लड प्रेशर, स्वास्थ्य संबंधी बीमारी और कॉरोनरी वस्कुलर बीमारी थी।

Created On :   18 April 2020 10:42 PM GMT

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