CJI के खिलाफ 'महाभियोग प्रस्ताव' लाने की तैयारी में CPI-M
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अब कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट) ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ "महाभियोग प्रस्ताव" लाने की तैयारी में जुट गई है। मंगलवार को सीपीआई (एम) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "ये मामला अब तक सुलझता दिखाई नहीं दिखाई दे रहा है। हम अपोजिशन से बात कर रहे हैं और संभव हुआ तो बजट सेशन में ही CJI के खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है।" बता दें कि 12 जनवरी को जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की प्रेस कॉन्फ्रेंस कर CJI दीपक मिश्रा पर कई आरोप लगाए थे।
और क्या कहा सीताराम येचुरी ने?
सीपीआई (एम) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि "सुप्रीम कोर्ट में जजों का विवाद अभी तक खत्म होता नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में कार्यपालिका को अब इसमें दखल देने का वक्त आ गया है। हम अपोजिशन पार्टियों से बजट सेशन में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर चर्चा कर रहे हैं।" बता दें कि संसद का बजट सेशन 29 जनवरी से शुरू हो रहा है।
2 हफ्ते बीत गए, अभी तक नहीं सुलझा मसला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके आगे सीपीआई (एम) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि "हमें उम्मीद थी कि ये मुद्दा कोर्ट के अंदर ही सुलझा लिया जाएगा, लेकिन 2 हफ्ते बीत गए हैं और ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसलिए मुझे लगता है कि अब विधायिका को एकजुट होना होगा, ताकि न्यायपालिका की अखंडता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जा सके।" बताया ये भी जा रहा है कि कांग्रेस से जुड़े विपक्षी नेता एक-दूसरे से संपर्क में हैं और जल्द ही इस मसले पर कांग्रेस अपनी रणनीति साफ कर सकती है।
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12 जनवरी को 4 जजों ने की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस
दरअसल, देश के इतिहास में पहली बार 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉनफ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया से बात की। इस दौरान जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।" उन्होंने बताया कि इस बात की शिकायत उन्होंने चीफ जस्टिस के सामने भी की, लेकिन उन्होंने बात को नहीं माना। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि "किसी भी देश के लोकतंत्र के लिए जजों की स्वतंत्रता भी जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो लोकतंत्र नहीं बच पाएगा। हमने चीफ जस्टिस को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो नहीं समझ पाए।" उन्होंने आगे कहा कि "हमारे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था, इसी कारण मजबूरी में हमें मीडिया के सामने आना पड़ा।" इसके अलावा इन चारों जजों ने चीफ जस्टिस पर ये भी आरोप लगाए कि "चीफ जस्टिस सीनियर जजों की बात नहीं सुनते हैं।"
अभी तक नहीं सुलझा मामला
सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद CJI दीपक मिश्रा से मुलाकात भी की थी, लेकिन मामला अभी तक सुलझाया नहीं जा चुका है। इस विवाद पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के चेयरमैन मनन मिश्रा ने कहा था कि "ये घर का मामला था और इसे घर में सुलझा लिया गया है।" वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी कहा था कि मामला सुलझा लिया गया है, लेकिन बाद में अपनी बात से पलटते हुए कहा था कि "ये मामला अभी तक सुलझा नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि इसे 2-3 में सुलझा लिया जाएगा।" हालांकि, अभी तक सुप्रीम कोर्ट के जजों का विवाद सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है।
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CJI ने बनाई बेंच, बागी जजों को जगह नहीं
वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने 8 बड़े मामलों के लिए 5 जजों की एक संवैधानिक बेंच बनाई थी। इस बेंच में CJI दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। CJI दीपक मिश्रा की अगुवाई में बनी ये 5 जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच में उन 4 जजों (जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ) को शामिल नहीं किया गया है, जिन्होंने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
क्या होता है महाभियोग ?
भारत के संविधान के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट या किसी हाईकोर्ट के जज को सिर्फ "महाभियोग" के जरिए ही हटाया जा सकता है। महाभियोग को "इंपीचमेंट" कहा जाता है, जिसका लैटिन भाषा में मतलब होता है "पकड़े जाना"। भारतीय संविधान में महाभियोग का उल्लेख आर्टिकल 124(4) में मिलता है। इसके तहत अगर किसी भी कोर्ट के जज पर कोई आरोप लगता है, तो उसे महाभियोग लाकर पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग के जरिए किसी जज को पद से हटाने के लिए लोकसभा के 100 सांसद और राज्यसभा के 50 सांसदों की सहमति जरूरी होती है। इसके साथ ही महाभियोग के जरिए किसी जज को तभी पद से हटाया जा सकता है, जब ये प्रस्ताव संसद को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास होता है। हालांकि अभी तक देश में किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग नहीं चलाया गया है।
Created On :   24 Jan 2018 8:47 AM IST