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बच्चियों से दुष्कर्म पर होगी फांसी, संसद से पास हुआ विधेयक
हाईलाइट
- 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के अपराध पर मृत्युदंड की सजा देने संबंधी विधेयक को राज्यसभा में मंजूरी।
- राज्यसभा में पास होने के बाद यह विधेयक 21 अप्रैल को लागू दंड विधि संशोधन अध्यादेश 2018 की जगह लेगा।
- केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और आजादी से ही देश की आजादी तय होगी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के अपराध पर मृत्युदंड की सजा देने संबंधी विधेयक (क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट बिल 2018) को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। यह बिल लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है। अब इस बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा। बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक 21 अप्रैल को लागू दंड विधि संशोधन अध्यादेश 2018 की जगह लेगा।
किसने क्या कहा?
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में आपराधिक कानून संशोधन बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि सजा के सीमा को बढ़ाया गया है साथ ही 2 महीने के भीतर जांच पूरी होने की बाध्यता रखी गई है। उन्होंने कहा कि हमने ऐसे मामलों की अपील के प्रावधान 6 माह में सुलझाने का प्रावधान किया है ताकि केस लंबित नहीं रहे। मंत्री ने कहा कि अब जांच के दौरान महिला के चरित्र के बारे में कोर्ट और पूछताछ में कोई भी सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमने कानून को पीड़िता के लिए संवेदनशील बनाया है। महिलाओं की सुरक्षा और आजादी से ही देश की आजादी तय होगी।
जेडीयू सांसद कहकशां परवीन ने कहा कि जब किसी बच्ची के साथ घटना घटती है तो उसे और उसके माता-पिता को जो दर्द पहुंचता है वो जीवनभर नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने कहा कि कानून के साथ-साथ समाज को जागरूक करने की भी जरूरत है। समाज कहां जा रहा है कोई रिश्ता पाक नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी को ऐसी घटनाओं के लिए दोष देना ठीक नहीं है। वहीं उन्होंने देशभर में महिला थानों का गठित करने की मांग की।
बीजेपी सांसद रूपा गांगुली ने कहा कि क्या बच्चियों से रेप करने वालों के भी मानव अधिकार होने चाहिए। उन्होंने सदन से अपील करते हुए कहा कि एक बार सोच कर देखें उन बच्चियों का हाल जिनके साथ ऐसे हादसे होते हैं क्या हम उनका दर्द दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा कानून चाहिए जिससे रेप करने वाले सौ बार सोचें और उनके भीतर डर बैठे कि अगर पकड़े गए तो मृत्युदंड मिलेगा।
विधेयक में है क्या-क्या प्रावधान?
- 12 वर्ष से कम आयु की लड़की से बलात्कार के अपराध पर दोषी को कम से कम 20 साल जेल या आजीवन कारावास की सजा या मृत्युदंड होगा।
- 12 वर्ष से कम आयु की लड़की से सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दंड आजीवन कारावास होगा या मृत्युदंड होगा।
- 16 साल से कम उम्र की लड़की से बलात्कार के अपराध में सजा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा।
- 16 वर्ष से कम आयु की लड़की से सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दंड आजीवन कारावास होगा जिसका मतलब उस व्यक्ति को शेष जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना देना होगा।
- किसी भी महिला के साथ बलात्कार के अपराध के लिए दंड को सात वर्ष के न्यूनतम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रावधान किया गया है और इसे बढ़ा कर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है।
- बलात्कार के सभी मामलों के संबंध में जांच थाने में जानकारी देने से दो माह की अवधि में पूरी की जाएगी।
- जांच और अभियोजन में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों को दंडित करने के भी विस्तृत प्रावधान किए गए हैं।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।