संघर्ष बीती बात, अब चीन के साथ रहना चाहते हैं तिब्बती : दलाई लामा

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। तिब्बत पर चीन के अत्याचारों का दुनियाभर में ढोल पीटने वाले तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने एक आश्चर्यजनक बयान दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि अतीत गुजर चुका है। अब तिब्बती चीन के साथ रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "हमें भविष्य पर ध्यान देना होगा। हम चीन से स्वतंत्रता नहीं मांग रहे हैं। हम उनके साथ रहना चाहते हैं और तिब्बत का विकास चाहते हैं।"
दलाई लामा ने यह बातें कोलकाता में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक संवाद सत्र में कही। उन्होंने चीन के साथ तिब्बत के संबंधों पर कहा, "चीन और तिब्बत के बीच करीबी संबंध रहे हैं। हां, अतीत में दोनों के बीच संघर्ष हुआ है, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं।" हालांकि दलाई लामा ने यह भी कहा कि चीन को तिब्बती संस्कृति और विरासत का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा, "तिब्बती लोगों को अपने क्षेत्र और अपनी संस्कृति से बेहद प्यार है। अगर चीन इसमें हस्तक्षेप करता है तो संघर्ष होता रहेगा। तिब्बत की एक अलग संस्कृति है और एक अलग लिपि है। चीनी जनता अपने देश को प्रेम करती है और तिब्बती जनता अपने देश को।"
इसके साथ ही दलाई लामा ने भारत-चीन के रिश्ते को सुदृढ़ करने के लिए हिंदी-चीनी भाई-भाई की भावना को आगे बढ़ाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि चीन को भारत की और भारत को चीन की जरूरत है, इसीलिए दोनों को एक साथ मिलजुल कर रहना चाहिए।
गौरतलब है कि दलाई लामा ने तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद वर्ष 1959 में भारत में शरण ली थी। तब से ही वह भारत में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। चीन इस पर कई बार आपत्ति भी दर्ज करा चुका है। भारत ने इस साल तिब्बती धर्म गुरू को अरूणाचल प्रदेश सहित उत्तर-पूर्व के कई हिस्सों में दौरे की अनुमति भी दी थी। चीन ने भारत के इस रूख पर भी ऐतराज जताया था।
Created On :   23 Nov 2017 9:34 PM IST