कश्मीर के मुद्दों के साथ प्रतिनिधिमंडल मोदी-शाह से मुलाकात करेगा
- कश्मीर के मुद्दों के साथ प्रतिनिधिमंडल मोदी-शाह से मुलाकात करेगा
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू में बुधवार को कुछ वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं, शिक्षाविदों, कानूनी दिग्गजों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कुछ समान विचारधारा वाले लोगों की एक अनौपचारिक बैठक हुई।
बैठक के दौरान जम्मू एवं कश्मीर में वर्तमान सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का जायजा लिया गया।
जम्मू-कश्मीर की स्थिति को अभूतपूर्व बताते हुए बैठक में कहा गया कि इस स्थिति से असाधारण उपायों के माध्यम से निपटने की आवश्यकता है।
बैठक में केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को उपेक्षापूर्ण रवैया रखने वाला बताते हुए कहा गया, यह गंभीरता से महसूस किया गया कि जम्मू-कश्मीर के लोग दिन-प्रतिदिन की मुश्किलों में फंस गए हैं और एक उपेक्षापूर्ण प्रशासन के रहमोकरम पर हो गए हैं।
सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में सात जनवरी 2020 को उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू के समक्ष राजनीतिक नेताओं के एक समूह द्वारा रखी गई मांगों को भी बैठक के दौरान चर्चा के लिए उठाया गया।
इस दौरान राजनीतिक नेताओं की रिहाई, 2 जी-मोबाइल इंटरनेट सेवा की बहाली को अपर्याप्त करार दिया गया।
बैठक में भाग लेने वालों ने उप राज्यपाल के समक्ष रखी गई अन्य मांगों के समयबद्ध कार्यान्वयन की मांग की, जो उनके अधिकार क्षेत्र में है।
बैठक में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों, वकीलों, व्यापारियों और युवाओं सहित सभी राजनीतिक नेताओं की रिहाई के लिए आग्रह को रेखांकित किया गया, जोकि अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के बाद से नजरबंद हैं।
बैठक में जम्मू-कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट की गति व ब्रॉडबैंड सेवाओं की पूर्ण बहाली की वकालत की गई।
बैठक में वर्तमान निराशाजनक आर्थिक स्थिति को गंभीरता से लेते हुए जम्मू-कश्मीर में कृषि, बागवानी, हस्तशिल्प, पर्यटन, होटल व्यवसाय, व्यापार, हाउसबोट मालिकों और परिवहन समुदाय के लिए एक तत्काल राहत की मांग की गई।
बैठक में भाग लेने वालों ने अपने ज्ञापन में रखी गई अन्य मांगों के कार्यान्वयन में रुकावट के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की।
बैठक के दौरान यह सर्वसम्मति से तय किया गया कि सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में सदस्यों के एक समूह को प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात करके उनके सामने अपनी मांगें रखनी चाहिए। इन मांगों में राज्य की पूर्ण बहाली, पर्पज ओरिएंटेड डोमिसाइल राइट्स (भूमि और नौकरियों के लिए) आदि शामिल हैं, जो भारत सरकार और संसद के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
बैठक के दौरान दो समितियों का गठन किया गया। पहली समिति किसी भी राजनीतिक सेट अप के लिए आवश्यक संवैधानिकता की बारीकियों पर विचार-विमर्श करेगी। वहीं दूसरी समिति बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, चैंबर ऑफ कॉमर्स, ट्रेडमैन और समाज के अन्य प्रतिनिधियों तक पहुंच स्थापित करेगी और उन सभी संभावनाओं का पता लगाने के लिए काम करेगी, जिनके माध्यम से जम्मू-कश्मीर के लोगों को सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक दलदल से बाहर निकाला जा सकता है।
Created On :   30 Jan 2020 8:30 PM IST