रघुवर सरकार में पास हुए बिल से क्या भाजपा हार गई 26 आदिवासी सीटें?
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। अगर मुख्यमंत्री रहते हुए रघुवर दास कुछ विवादित विधेयक विधानमंडल से पास न कराते तो विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति अच्छी हो सकती थी। ये दो विधेयक छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) में संशोधन से जुड़े थे। इन दोनों विधेयकों का जिन 28 विधानसभा क्षेत्रों की आदिवासी जनता पर असर पड़ना था, वहां की 26 सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा है।
भाजपा सिर्फ खूंटी और तोरपा ही जीत पाई। राज्य में भाजपा से आदिवासियों की नाराजगी के पीछे यही दोनों विधेयक जिम्मेदार माने जा रहे हैं।
दरअसल, रघुवर सरकार ने विपक्ष के वॉकआउट के बीच छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम(एसपीटी) में संशोधन के लिए बिल पास कराए थे। भूमि अधिग्रहण कानूनों में भी रघुवर सरकार ने संशोधन की कोशिशें की थी। ये कानून कभी आदिवासियों की जमीनों से जुड़े अधिकारों की रक्षा के लिए बने थे।
सरकार की ओर से इन कानूनों में संशोधन से आदिवासियों को अपने अधिकारों का हनन होता दिखा। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए काफी विरोध किया। बाद में गृह मंत्रालय की आपत्तियों के बाद राष्ट्रपति ने भी हस्ताक्षर करने से इन्कार करते हुए विधेयक को लौटा दिया था। इस घटना के बाद आदिवासियों को लगने लगा कि राज्य की रघुवर सरकार उनके अधिकारों के विपरीत काम कर रही है।
सूत्रों का कहना है कि आदिवासियों की नाराजगी के कारण उत्तरी और दक्षिणी छोटा नागपुर और संथाल प्रमंडल में उनके लिए आरक्षित कुल 28 सीटों के चुनाव में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। इन 28 में से भाजपा को 26 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
-- आईएएनएस
Created On :   25 Dec 2019 9:31 PM IST