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आर्मी चीफ के बयान पर दिग्विजय-ओवैसी का पलटवार, कहा- अपने कार्यालय की हद जानना भी नेतृत्व

हाईलाइट
- दिग्विजय ने सांप्रदायिक आधार पर हिंसा को लेकर सवाल दागा
- ओवैसी ने तो आर्मी चीफ को अपने कार्यक्षेत्र तक सीमित रहने की नसीहत दी
- छात्रों के हिंसक प्रदर्शन करने पर आर्मी चीफ ने जताई थी नाराजगी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के विरोध में कैंपस में छात्रों द्वारा किए गए हिंसक प्रदर्शन पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की नाराजगी वाले बयान पर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आर्मी चीफ पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया। दिग्विजय ने जहां सांप्रदायिक आधार पर हिंसा को लेकर सवाल दागा तो ओवैसी ने तो आर्मी चीफ को अपने कार्यक्षेत्र तक सीमित रहने की नसीहत दे डाली। बता दें कि आर्मी चीफ ने एक कार्यक्रम में छात्र नेताओं पर हिंसा के लिए उकसाने का आरोप लगाया था।
ओवैसी ने साधा निशाना
असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को ट्वीट कर लिखा कि अपने कार्यालय की हद जानना भी एक नेतृत्व ही है। नेतृत्व वह है जो नागरिकता को सर्वोच्च स्थान पर रखे और उस संस्था की अखडंता को बरकरार रखें, जिसकी आप अगुवाई कर रहे हो।
Asaduddin Owaisi, AIMIM on Army Chief General Bipin Rawat's remark: His statement undermines the Modi government. Our Prime Minister writes on his website that as a student he participated in protest during emergency. Then, according to Army Chief's statement that was also wrong. https://t.co/jWk14GJyekpic.twitter.com/r3NsxZbqH5
— ANI (@ANI) December 26, 2019
दिग्विजय सिंह ने दागे सवाल
आर्मी चीफ के बयान का जवाब देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया कि नेतृत्वकर्ता वह नहीं होता है, जो लोगों को हथियार उठाने के लिए प्रेरित करे। आर्मी चीफ नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन पर मैं आपसे सहमत हूं जनरल साहब, लेकिन नेता वह भी नहीं हो सकता जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक आधार पर नरसंहार के लिए भड़काए। क्या आप मुझसे सहमत हैं जनरल साहब?
"Leaders Not Those Who Lead Masses In Arson": Army Chief On Citizenship Protests
— digvijaya singh (@digvijaya_28) December 26, 2019
I agree General Saheb but also Leaders are not those who allow their followers to indulge in Genocide of Communal Violence. Do you agree with me General Saheb? https://t.co/rOo0vFGMIf
हिंसक प्रदर्शनों पर आर्मी चीफ ने जताई नाराजगी
एनआरसी और सीएबी को लेकर जारी विरोध और देश के कई विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन पर भी आर्मी चीफ ने सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने किसी यूनिवर्सिटी का नाम लिए बिना कहा कि नेतृत्व क्षमता वह नहीं है जो लोगों को गलत दिशा में लेकर जाती हो। आज हम सब बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों की अगुआई में कई शहरों में भीड़ और लोगों को हिंसक प्रदर्शन करते देख रहे हैं। यह नेतृत्व क्षमता नहीं है।
आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत: नेता वे नहीं हैं जो लोगों को गलत दिशा दिखाते हैं। जैसा कि हम विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में देख रहे हैं। छात्र शहरों और कस्बों में आगजनी और हिंसा भड़काने वाली भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं। यह नेतृत्व नहीं है। pic.twitter.com/7yFeZhvzDX
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 26, 2019
देश के 22 कैंपसों में हुआ था विरोध
बता दें कि नागरिकता कानून के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी, यूपी की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सहित देश के 22 कैंपस में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ। यूनिवर्सिटियों के बाद ये विरोध प्रदर्शन देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल गया था। दिल्ली-यूपी के कई इलाकों में इस दौरान हिंसा भी हुई। देशभर में हुई हिंसा में कुल 22 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद विपक्ष CAA, NRC और NPR के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेर रहा है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।