किसान हड़ताल को लेकर मतभेद, आपूर्ति रोकने के पक्ष में नहीं हैं महाराष्ट्र के किसान संगठन

Dispute on farmers strike, Some are not favoured to cut supply
किसान हड़ताल को लेकर मतभेद, आपूर्ति रोकने के पक्ष में नहीं हैं महाराष्ट्र के किसान संगठन
किसान हड़ताल को लेकर मतभेद, आपूर्ति रोकने के पक्ष में नहीं हैं महाराष्ट्र के किसान संगठन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में करीब एक साल बाद फिर से प्रदेश के किसान सड़कों पर नजर आएंगे। राज्य के किसान 1 जून को दूध के उचित दर और किसान कर्ज माफी सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन करेंगे, जबकि राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने 1 जून से देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। हालांकि महाराष्ट्र के किसान संगठन हड़ताल के दौरान दूध-आनाज की आपूर्ति रोकने के पक्ष में नहीं हैं। इस लिए उन्होंने देशव्यापी हड़ताल से दूर रहने का फैसला किया है।

बुधवार को किसान सभा के प्रदेश महासचिव डॉ. अजित नवले ने कहा कि हमने 1 जून को एक दिवसीय सांकेतिक आंदोलन करने का फैसला किया है। इसके बाद भी यदि सरकार हमारी विभिन्न मांगों को लेकर सकारात्मक फैसला नहीं लेती है तो 5 जून से व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा। नवले ने कहा कि यह आंदोलन मुख्य रूप से किसानों को दूध के लिए 27 रुपए प्रति लीटर की दर देने की मांग को लेकर है। यदि किसानों की यह मांग पूरी नहीं हुई तो हम लोग प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री महादेव जानकर के सरकारी बंगले में घूस कर आंदोलन करेंगे।

नवले ने बताया कि औरंगाबाद के वैजापुर तहसील के लाखगंगा गांव में दूध उत्पादक किसान संघर्ष समिति की बैठक हुई थी। जिसमें अमरावती के निर्दलीय विधायक बच्चू कडू और नाशिक से कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के विधायक जीवा पांडू गावित शामिल हुए थे। इस बैठक में ग्रामसभा ने आंदोलन का निर्णय लिया है।

दूसरी ओर 1 जून से राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने किसान हड़ताल की घोषणा की है। किसान मजदूर संघ का 1 जून से 10 जून तक किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर देशव्यापी हड़ताल होगा। किसान संघ को समर्थन देने के सवाल पर नवले ने कहा कि हमारी उन्हें आंदोलन के लिए शुभकामनाएं हैं। लेकिन हम चाहते हैं कि राज्य में किसानों का आंदोलन विरोध-प्रदर्शन के स्वरूप में होना चाहिए। कृषि उत्पादों की आपूर्ति न रोकी जाए। क्योंकि हमारे पास पिछले साल राज्य में हुए किसान हड़ताल का अनुभव है। साल 2017 के आंदोलन में किसानों का बड़े पैमाने पर सब्जी, फल और दूध का नुकसान हुआ था। इसलिए हम इस साल किसानों का नुकसान नहीं चाहते।
 

Created On :   30 May 2018 3:30 PM GMT

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