कुछ दिन पहले ही स्टालिन के बड़े भाई एमके अलागिरि ने स्टालिन के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। अलागिरि ने कहा था कि उनके पिता (करुणानिधि) के सच्चे वफादार उनका साथ देने को तैयार हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि अलागिरि के विरोध का स्टालिन के अध्यक्ष चुने जाने पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि पार्टी इकाइयां स्टालिन के साथ हैं।
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DMK की आम परिषद बैठक में 28 अगस्त को अध्यक्ष चुने जा सकते हैं स्टालिन
हाईलाइट
- एम. करुणानिधि के निधन के बाद से ही स्टालिन पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
- 28 अगस्त को डीएमके की आम परिषद बैठक में नया चेहरा चुना जाना है।
- पार्टी महासचिव के अनबाझागन ने आम परिषद के सभी निर्वाचित सदस्यों से बैठक में हिस्सा लेने को कहा है।
डिजिटल डेस्क, चेन्नै। द्रविण मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे एमके स्टालिन को जल्द पार्टी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। एम. करुणानिधि के निधन के बाद से ही स्टालिन पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 28 अगस्त को डीएमके की आम परिषद बैठक में नया चेहरा चुना जाना है। पार्टी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि पार्टी मुख्यालय 'अन्ना अरिवालयम' में होने वाली बैठक में नया अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष का चयन किया जाएगा। पार्टी महासचिव के अनबाझागन ने आम परिषद के सभी निर्वाचित सदस्यों से बैठक में हिस्सा लेने को कहा है। उन्होंने बताया कि पार्टी की कुड्डालूर पश्चिम जैसी जिला इकाइयों ने स्टालिन को अध्यक्ष बनाने के लिए पहले ही सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया है। स्टालिन का पार्टी अध्यक्ष बनना लगभग तय है तो पार्टी के प्रधान सचिव दुरैमुरुगन को पार्टी का कोषाध्यक्ष निर्वाचित किया जा सकता है।


करुणानिधि का लंबी बीमारी के बाद गत 7 अगस्त को निधन हो गया था। जीवनकाल में ही करुणानिधि ने स्टालिन को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।