अल नीनो के इफेक्ट से इस साल बढ़ेंगी किसानों की मुश्किलें, बारिश पर होगा बुरा असर और मंहगाई भी तोड़ सकती है कमर!

El Nino will increase the problems of farmers, know the weather forecast of Skymet?
अल नीनो के इफेक्ट से इस साल बढ़ेंगी किसानों की मुश्किलें, बारिश पर होगा बुरा असर और मंहगाई भी तोड़ सकती है कमर!
इस बार कैसी होगी बारिश? अल नीनो के इफेक्ट से इस साल बढ़ेंगी किसानों की मुश्किलें, बारिश पर होगा बुरा असर और मंहगाई भी तोड़ सकती है कमर!

डिजिटल डेस्क,दिल्ली।  मौसम को लेकर भविष्यवाणी करने वाली संस्था स्काईमेट ने इस मॉनसून के पहले जो रिपोर्ट जारी है उसने किसानों ही नहीं सरकार को भी चिंता में डाल दिया है।कंपनी के मुताबिक इस बार जून से सितंबर के दौरान सामान्य से कम बारिश होने के अनुमान है। किसानों के लिए यह रिपोर्ट काफी परेशान करने वाली हो सकती है। स्काईमेट के अनुसार इस बार मानसून में सामान्य से 868 मिमी कम वर्षा हो सकती है। 

क्या कहती है रिपोर्ट? 

इस सीजन आने वाले मानसून से जुड़ी यह पहली रिपोर्ट है, यह सरकार और किसानों दोनों के लिए एक चिंता का विषय है। रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य से कम बारिश होने की संभावना 40 फीसदी है। वहीं सामान्य से अधिक बारिश की संभावना 15 फीसदी है। इसके अलावा 25 फीसदी अनुमान सामान्य बारिश होने के भी हैं। स्काईमेट के डायरेक्टर जतिन सिंह ने बयान दिया है कि पिछले कुछ सालों से "ला नीना" मॉनसून के दौरान सामान्य बारिश हो रही थी। जिसका प्रभाव अब खत्म हो रहा है और इसकी जगह ले रहा है अल नीनो। अल नीनो के मजबूत होने से मानसून के कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है। जो देश में सूखा पड़ने का कारण भी बन सकता है। अगर ऐसा होता है तो किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। किसान मुश्किल में आए तो उसका असर चीजों की कीमतों पर भी पड़ेगा।

क्या है अल नीनो?

खबरों के अनुसार जब प्रशांत महासागर में पानी की ऊपरी सतह गर्म हो जाती है तब अल नीनो का प्रभाव बढ़ता है। इसका असर मुख्यत: दक्षिण पश्चिम मॉनसून पर पड़ता है। रिपोर्टस के मुताबिक मई से जुलाई महीने के दौरान अल नीनो का प्रभाव लौटेगा जिससे सूखा पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे पहले 1997 में अल नीनो का ताकतवर रूप देखने को मिला था। लेकिन फिर भी सामान्य वर्षा हुई थी। 

इसके अलावा इंडियन ओशियन डाइपोल  भी मानसून पर अपना असर छोड़ता है। हालांकि यह अभी न्यूट्रल स्थिति में है। अगर देश में बारिश कम हुई तो इसका सीधा असर धान की खेती पर होगा। धान की खेती मॉनसून पर काफी ज्यादा निर्भर रहती है। दुनियाभर में पहले से चल रही खाघान्न की कमी पर और भी गहरा असर देखने को मिल सकता है। 

Created On :   10 April 2023 1:09 PM GMT

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