रिटायरमेंट के बाद भी मात्र दो रुपये में पाठशाला चलाते सुजीत चट्टोपाध्याय, जानिए पद्मश्री से सम्मानित शिक्षक की कहानी

Even after retirement, Sujit Chattopadhyay was awarded the Padma Shri running the school for just two rupees
रिटायरमेंट के बाद भी मात्र दो रुपये में पाठशाला चलाते सुजीत चट्टोपाध्याय, जानिए पद्मश्री से सम्मानित शिक्षक की कहानी
पश्चिम बंगाल रिटायरमेंट के बाद भी मात्र दो रुपये में पाठशाला चलाते सुजीत चट्टोपाध्याय, जानिए पद्मश्री से सम्मानित शिक्षक की कहानी
हाईलाइट
  • दो रुपए सालाना लेकर करीब 300 से अधिक छात्रों को पढ़ा रहे है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के रिटायर्ड मास्टर सुजीत चट्टोपाध्याय मात्र दो रुपए सालाना लेकर करीब 300 से अधिक छात्रों को पिछले कई सालों से पढ़ा रहे हैं। उनकी इसी पहल और जज्बे को सलाम करते हुए मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया।

पश्चिम बंगाल के पूर्व वर्धमान जिले के निवासी 78 वर्षीय मास्टर सुजीत चट्टोपाध्याय स्कूल से रिटायर होने के बाद भी गरीब छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इसमें कक्षा 10वीं, 11वीं और डिग्री कॉलेज छात्र पढ़ाई करते हैं, जिन्हें वे बंगाली भाषा के अलावा 10 वीं कक्षा के छात्रों को सभी सब्जेक्ट पढ़ाते हैं। सुजीत चट्टोपाध्याय ने आईएएनएस से खास बातचीत कर बताया कि, मेरे लिए बहुत गर्व और सौभाग्य की बात है। राष्ट्रपति द्वारा मुझे सम्मनित किया गया है। मैंने अपने छात्रों को संदेश भी भिजवाया है कि हमारी पाठशाला के लिए मुझे पुरुस्कार मिला है।

मैं एक टीचर हूं और रिटायरमेंट के बाद भी एक टीचर की ड्यूटी खत्म नहीं होती। इसलिए अपने क्षेत्र के सभी गरीब बच्चों को अपनी पाठशाला में पढ़ाता हूं। वहीं करीब 300 से अधिक छात्रों को 3 श्रेणी में पढ़ाता हूं। उन्होंने आगे बताया कि, मेरे छात्रों को भी मुझपर गर्व है और उन्होंने मुझे एक संदेश देकर भेजा है जिसे मुझे राष्ट्रपति तक पहुंचाना है। सभी छात्र अपने क्षेत्र में एक डिग्री कॉलेज और एसबीआई बैंक बनवाना चाहते हैं। क्योंकि जिन छात्रों को बैंक की जरूरत पड़ती है, उन्हें करीब 30 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जो कि बेहद मुश्किल है। इसलिए एक बैंक रामनगर ग्राम पंचायत में खुलना चाहिए। यह सभी छात्रों के साथ एक मेरी भी इच्छा है।

उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि, मेरे क्षेत्र से कॉलेज भी बेहद दूर है, इसलिए वहां एक डिग्री कॉलेज भी बनना चाहिए। इसलिए मेरे छात्रों ने मुझे यह दो बातें राष्ट्रपति से कहने के लिए कहा है। हालांकि सुजीत के अनुसार, इन मांगों को वह पहले स्थानीय प्रशासन के सामने रख चुके हैं, लेकिन इसपर कोई तवज्जों नहीं दी गई। इतना ही नहीं वह अपने द्वारा सालाना कमाए हुए पैसों से गरीब छात्रों के लिए कपड़े व उनकी जरूरत की चीजें खरीदते हैं। उन्होंने बताया कि, मैं एक बुजर्ग टीचर हूं मुझे मेरे छात्रों के लिए कुछ करना होगा। दो रुपये लेने के बाद जो सालभर में इकट्ठा होता है उनसे गरीब बच्चों के लिए कपड़े व अन्य चीजें खरीद उनकी सहायता की जाती है।

सुजीत के मुताबिक, उनका क्षेत्र जंगल इलाके के पास पड़ता है। जिसके कारण उधर छात्र शिक्षा से वंचित रहते हैं। इसके अलावा कई लोग थैलेसीमिया बीमारी से भी जूझ रहे हैं। दरअसल छात्रों को पढ़ाने के अलावा वह इलाके के थैलेसीमिया रोगियों की देखभाल भी करते हैं। वह और उनके छात्र सभी रोगियों के लिए हर वर्ष एक कैम्प लगाते हैं और रोगियों की आर्थिक सहायता करने की भी कोशिश करते हैं।

(आईएएनएस)

Created On :   9 Nov 2021 10:01 AM GMT

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