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दैनिक भास्कर हिंदी: शिशुओं की मौत पर गहलोत का विवादित बयान- हर अस्पताल में होती हैं मौतें, ये कोई नई बात नहीं

हाईलाइट
- जेके लॉन अस्पताल में महज 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत के बाद सीएम का बयान
- अस्पताल में सामान्य तौर पर रोजाना 2-3 नवजात शिशुओं की मौत होती है
- अस्पताल में एक महीने के अंदर 77 नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी हैं
डिजिटल डेस्क, कोटा। राजस्थान के कोटा में जेके लॉन अस्पताल में महज 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत से जयपुर से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया है। इस पर मीडिया से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चौंकाने वाला बयान दे डाला, जिसके बाद वे विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि बीते सालों के मुकाबले इस साल बच्चों की मौतें कम हुई हैं। ये कोई नई बात नहीं है। उनके इस बयान के बाद भाजपा और अन्य दलों के नेताओ ने उनकी आलोचना करना शुरू कर दिया है।
Rajasthan CM on Kota child deaths: This year has least deaths in last 6 yrs. Even 1 child death is unfortunate.But thr hv been 1500,1300 deaths in a year in past,this year figure is 900.There are daily few deaths in every hospital in state&country,nothing new.Action being taken pic.twitter.com/86oSvPsGA3
— ANI (@ANI) December 28, 2019
गहलोत ने कहा कि सबसे कम मौत 6 साल में इस साल हुई हैं। एक भी बच्चे की मौत होना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन एक साल के अंदर 1500-1300 मौतें भी हुई हैं, लेकिन इस साल करीब 900 बच्चों की मौतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश के हर अस्पताल के अंदर 4-5 मौतें होती ही हैं, ये कोई नई बात नहीं है। जयपुर में भी होती है। इसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
ज्ञात हो कि अस्पताल में एक महीने के अंदर 77 नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी हैं। ये सभी शिशु एक साल तक के थे। मामला जब दिल्ली पहुंचा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए। आईएएस अधिकारी वैभव गालरिया के प्रतिनिधित्व में बनी जांच समिति शुक्रवार शाम को कोटा पहुंची। अस्पताल के अधीक्षक एचएल मीणा से कमेटी ने पूछताछ की।
इन मौतों को पूरा अमला पहले स्वाभाविक और सामान्य बताकर दबाने में जुटा रहा। हालांकि मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार हरकत में आई। इन मौतों के पीछे संक्रमण को मुख्य कारण माना जा रहा है। इसके अलावा अस्पताल के उपकरण भी खराब हैं।
ओम बिड़ला ने जताई थी चिंता
इस मामले पर कोटा से सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने शुक्रवार को कहा कि कोटा के एक मातृ एवं शिशु अस्पताल में 48 घंटे में 10 नवजात शिशुओं की असामयिक मौत का मामला चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
हर दिन होती है 2-3 नवजात की मौत
अस्पताल में सामान्य तौर पर रोजाना 2-3 नवजात शिशुओं की मौत होती है। यहां सोमवार को छह जबकि मंगलवार को चार बच्चों की मौत हुई। सूत्रों के अनुसार पांच दिन पहले भी इसी तरह एक साथ कुछ बच्चों की मौत हुई थी। जिन्हें बचाने के लिए पूरा स्टाफ जुट गया था।
अस्पताल में छह साल में 6600 नवजात शिशुओं ने तोड़ दम
अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक 23 दिसंबर को छह बच्चों की मौत हुई, जबकि 24 दिसंबर को चार बच्चों ने दम तोड़ा। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले छह सालों में इस अस्पताल में 6600 से ज्यादा नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है। 2019 में अब तक 940 बच्चों की मौत चुकी है।
भोपाल: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के वूमेन डेवलपमेंट सेल द्वारा 5वां वूमेन एक्सिलेंस अवार्ड का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सुश्री अनुभा श्रीवास्तव (आईएएस), कमिश्नर, हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट विभाग, मध्य प्रदेश , विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ रूबी खान, डायरेक्टर, डायरेक्टोरेट आफ हेल्थ सर्विसेज, सुश्री रवीशा मर्चेंट, प्रिंसिपल डिजाइनर, ट्रीवेरा डिजाइंस, बट ब्रहम प्रकाश पेठिया कुलपति आरएनटीयू उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, प्रो-चांसलर, आरएनटीयू एंड डायरेक्टर, आइसेक्ट ग्रुप आफ यूनिवर्सिटीज ने की।
इस अवसर पर सुश्री अनुभा श्रीवास्तव ने महिलाओं को अपनी बात रखने एवं निर्णय क्षमता को विकसित करने पर जोर दिया। महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर भी अपने विचार साझा किए। डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में महिलाओं का एक अहं रोल होता है। चाहे वो रोल हमारी मां के रूप में हो या फिर बहन या पत्नी के रूप में। हमें हर रूप में महिला का साथ मिलता है। लेकिन ऐसा काफी कम होता है जब हम इन्हें इनके कार्य के लिए सम्मानित करते हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन की महिलाओं को उनके कार्यों और उनके रोल के लिए सम्मानित करें। इसी तारतम्य में आरएनटीयू पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड से इन्हें सम्मानित कर रहा है।
डॉ रूबी खान ने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें इसकी जानकारी दी। वहीं सुश्री रवीशा मर्चेंट ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त रहने एवं किसी भी परिस्थिति पर हार ना मानना एवं परिवार और काम में संतुलन बनाए रखने के विषय में विस्तृत जानकारी दी। डॉ ब्रम्ह प्रकाश पेठिया ने देश की बढ़ती जीडीपी में महिलाओं का अहम योगदान माना। उन्होंने बताया कि जल थल एवं हवाई सीमा में भी विशेष योगदान महिलाएं दे रही हैं।
कार्यक्रम में रायसेन और भोपाल जिले की शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया। साथ ही पूर्व में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता महिलाओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ संगीता जौहरी, प्रति-कुलपति, आरएनटीयू ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं समन्वयन नर्सिंग एवं पैरामेडिकल विभाग की अधिष्ठाता एवं महिला विकास प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ मनीषा गुप्ता द्वारा किया गया। मंच का संचालन डॉ रुचि मिश्रा तिवारी ने किया।
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