राष्ट्र के नाम 'प्रणब दा' का अंतिम सम्बोधन, कहा- विकास चाहिए तो गरीबों को मुख्यधारा में लाना होगा

Farewell speech of President Pranab Mukhrjee to the nation
राष्ट्र के नाम 'प्रणब दा' का अंतिम सम्बोधन, कहा- विकास चाहिए तो गरीबों को मुख्यधारा में लाना होगा
राष्ट्र के नाम 'प्रणब दा' का अंतिम सम्बोधन, कहा- विकास चाहिए तो गरीबों को मुख्यधारा में लाना होगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल का सोमवार को अंतिम दिन है। इस मौके पर राष्ट्र के नाम अपने अंतिम सम्बोधन में उन्होंने कहा कि पिछले 50 सालों के सार्वजनिक जीवन के दौरान भारत का संविधान मेरा पवित्र ग्रंथ रहा है, भारत की संसद मेरा मंदिर रहा है और भारत की जनता की सेवा मेरी अभिलाषा रही है। उन्होंने कहा कि मैंने देश को जितना दिया, उससे अधिक पाया है। इसके लिए मैं भारत के लोगों का सदैव ऋणी रहूंगा। अपने अंतिम उद्बोधन में उन्होंने गरीबों को मुख्यधारा से जोड़ने की बात करते हुए कहा कि 'विकास को साकार होने के लिए, देश के गरीबों को यह लगना चाहिए कि वे भी मुख्‍यधारा का हिस्‍सा हैं।'

ये बोले प्रणब मुखर्जी

  • 5 साल पहले, जब मैंने राष्‍ट्रपति पद की शपथ ली थी, तब मैंने संविधान के संरक्षण और रक्षा की कसम खाई थी। इन पांच सालों के हर एक दिन पर, मुझे अपनी जिम्‍मेदारी का भान था।
  • मैं अपने दायित्वों को निभाने में कितना सफल रहा, इसकी परख इतिहास के कठोर मानदंड द्वारा ही हो पाएगी।
  • हमें एक सहानुभूतिपूर्ण और जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए अहिंसा की शक्ति को फिर से जगाना होगा।
  • संस्कृति, पंथ और भाषा की विविधता ही भारत को विशेष बनाती है। हम विविध विचारों की आवश्यक मौजूदगी को नहीं नकार सकते। अन्यथा हमारी विचार प्रक्रिया का मूल स्वरूप नष्ट हो जाएगा।
  • हमें गरीब से गरीब व्यक्ति को सशक्त बनाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी नीतियों के फायदे कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
  • शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति से समाज को पुनर्व्यवस्थित किया जा सकता है। इसके लिए हमें अपने उच्च संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना होगा।
  • भारत की आत्मा , बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है और सहृदयता और समानुभूति की क्षमता हमारी सभ्यता की सच्ची नींव रही है। लेकिन प्रतिदिन हम अपने आसपास बढ़ती हुई हिंसा देखते हैं। इस हिंसा की जड़ में अज्ञानता, भय और अविश्वास है।
  • पर्यावरण की सुरक्षा हमारे अस्तित्व के लिए बहुत जरूरी है। जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र पर भीषण असर पड़ा है।

Created On :   24 July 2017 9:09 PM IST

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