हरसिमरत का इस्तीफा अकाली दल के नाटकों की एक कड़ी : अमरिंदर सिंह
- हरसिमरत का इस्तीफा अकाली दल के नाटकों की एक कड़ी : अमरिंदर सिंह
चंडीगढ़, 17 सितंबर (आईएएनएस)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मोदी कैबिनेट से अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह सब अकाली दल के नाटकों की एक कड़ी है।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि अकाली दल ने अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन को नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा किसानों की चिंता के लिए नहीं है, बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए है और किसानों के लिए यह बहुत देर बाद किया गया बहुत कम काम है।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बने रहने के शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के फैसले पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसिमरत का इस्तीफा भी पंजाब के किसानों के साथ खिलवाड़ करने से ज्यादा कुछ नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये इस्तीफा राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए है। हरसिमरत कौर का इस्तीफा नाटक है।
उन्होंने कहा कि हरसिमरत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी भी सत्तारूढ़ गठबंधन नहीं छोड़ा है। सिंह ने कहा कि ये किसानों की चिंता के लिए नहीं, बल्कि खुद की घटती राजनीतिक जमीन को बचाने से प्रेरित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसिमरत का केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा पंजाब और उसके किसानों को किसी भी तरह की मदद के लिए देर से आया है।
दरअसल, भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने किसानों से जुड़े नए विधेयक के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है।
पंजाब के बठिंडा से सांसद और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।
बता दें कि किसानों से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर पंजाब के किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इस पर चर्चा में कहा था कि इस कानून को लेकर पंजाब के किसानों, आढ़तियों और व्यापारियों के बीच बहुत शंकाएं हैं, इसलिए सरकार को इस विधेयक और अध्यादेश को वापस लेना चाहिए। इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भी विधेयकों के खिलाफ मुखर हैं।
एकेके/एसजीके
Created On :   17 Sept 2020 11:00 PM IST