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जम्मू कश्मीर: विशेष राज्य वाले आर्टिकल 35-A पर अब 19 जनवरी को सुनवाई
हाईलाइट
- इससे पहले 6 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन 3 जजों की पीठ में 1 के ना होने के चलते सुनावई नहीं हो पाई थी।
- सुप्रीम कोर्ट में We the Citizens और वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन कमेटी ने याचिका दायर की थी।
- सुनवाई का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि 35-A हटाने से धारा 370 भी खत्म हो जाएगी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से जुड़े आर्टिकल 35A को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जनवरी तक टाल दी है। SC में शुक्रवार को आर्टिकल 35-A की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। जम्मू कश्मीर में होने वाले पंचायत चुनावों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी के दूसरे पखवाड़े में अगली सुनवाई का निर्णय लिया। जम्मू कश्मीर की तरफ से पैरवी कर रहे तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि सभी सुरक्षा बल इस समय स्थानीय निकाय चुनाव की सुरक्षा में व्यस्त हैं, इसलिए सुनवाई को चुनाव तक टाल दिया जाए। इसके बाद अदालत ने 19 जनवरी तक के लिए सुनवाई को टाल दिया। इससे पहले 6 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन 3 जजों की पीठ में 1 के ना होने के चलते सुनवाई नहीं हो पाई थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में We the Citizens और वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन कमेटी ने याचिका दायर की थी। याचिका में राज्य के विशेष नागरिकता कानून 35-A को हटाने की मांग है। सुनवाई का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि 35-A हटाने से धारा 370 भी खत्म हो जाएगी। इससे जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच विलय भी खत्म हो जाएगा। सुनवाई के विरोध में घाटी में अलगावादियों ने 2 दिन का बंद बुलाया है, जिसे भाजपा को छोड़कर सभी मुख्य विपक्षी पार्टियों का समर्थन है।
Supreme Court has deferred hearing on Article 35A, next hearing on 19 January, 2019: Supreme Court Advocate Varun Kumar pic.twitter.com/OwSKA4JOJP
— ANI (@ANI) August 31, 2018
हिंसा की आशंका को देखते हुए कश्मीर के 9 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू जारी रहेगा। हुर्रियत नेताओं को अपने घरों में नजरबंद कर दिया गया है। इस मामले में अंतिम सुनवाई 6 अगस्त को की गई थी। सुनवाई के विरोध में अलगाववादी दल हुर्रियत के साथ पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस की जम्मू इकाई सहित माकपा भी बंद का समर्थन कर रही है। सुनवाई के विरोध में कश्मीर के लोंगों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया था। खुद जम्मू-कश्मीर के त्तकालीन राज्यपाल एनएन वोहरा ने सुनवाई को कुछ समय टालने का अनुरोध किया था। राज्यपाल ने इसका कारण वहां होने वाले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव को बताया था।
तीसरे जज के न होने से टल रही थी सुनवाई
पिछली सुनवाई में सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा था कि तीसरे जज डीवाई चंद्रचूड़ मौजूद नहीं हैं, ऐसे में मामले की सुनवाई टाल दी गई थी। तीन जजों की बेंच को तय करना है कि इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं। पिछली सुनवाई में कोर्ट में दो जज ही बैठे थे। जबकि इस मामले की तीन जजों की पीठ सुनवाई करती है। सीजेआई दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने कहा था कि मामला पांच जजों की संविधान पीठ को भेजने पर विचार तीन जजों की बेंच ही कर सकती है। सीजेआई ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करेगा कि क्या अनुच्छेद 35A संविधान के मूलभूत ढांचे का उल्लंघन तो नहीं करता है, इसमे विस्तृत सुनवाई की जरूरत है।
क्या है अनुच्छेद 35A?
धारा 35-A में स्थायी नागरिकता पारिभाषित की गई है। इसके मुताबिक स्थाई नागरिक वह है, जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक हो या इससे पहले 10 वर्षों से यहां रह रहा हो। बता दें कि 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने आदेश पारित कर भारत के संविधान में नया अनुच्छेद 35A जोड़ा था। कानून के मुताबिक यहां की महिला की अगर राज्य के बाहर शादी करती है तो उसे और उसके बच्चों को जम्मू कश्मीर का नागरिक नहीं माना जाता। इस धारा को निरस्त करने की मांग करने वालों का कहना है कि धारा 368 के तहत संविधान संशोधन के लिए नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए इसे संविधान में नहीं जोड़ा गया था।
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