जेएनयू हिंसा पर गृह-मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट, क्राइम ब्रांच जांच में जुटी! (आईएएनएस विशेष)

Home Ministry asks for report on JNU violence, Crime Branch investigation (IANS Special)
जेएनयू हिंसा पर गृह-मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट, क्राइम ब्रांच जांच में जुटी! (आईएएनएस विशेष)
जेएनयू हिंसा पर गृह-मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट, क्राइम ब्रांच जांच में जुटी! (आईएएनएस विशेष)
हाईलाइट
  • जेएनयू हिंसा पर गृह-मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट
  • क्राइम ब्रांच जांच में जुटी! (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 6 जनवरी (आईएएनएस)। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार शाम नकाबपोश हमलावरों द्वारा छात्रों और शिक्षकों पर किए गए हमले पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट तलब की है। केंद्र ने दिल्ली के उपराज्यपाल से भी हालात की सही जानकारी तुरंत मुहैया कराने को कहा है।

घटना के पीछे सुलगते तमाम सवालों के जबाब तलाशने और घटना में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए फिलहाल अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की नौ से ज्यादा टीमें जांच में जुट गई हैं। क्राइम ब्रांच ने घटनास्थल के सीसीटीवी फूटेज कब्जे में लेने शुरू कर दिए हैं।

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के एक आला-अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर सोमवार को आईएएनएस से इसकी पुष्टि की है।

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के मुताबिक, वसंतकुंज थाने में जिला पुलिस द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर का हमारी टीम ने अवलोकन कर लिया है। दंगे की धाराओं में दर्ज एफआईआर में फिलहाल किसी को नामजद नहीं किया गया है। हमारी (क्राइम ब्रांच) जांच में जो भी नाम सामने आएंगे, उन्हें बाद में एफआईआर में जोड़ लिया जाएगा। यह कोई बड़ी समस्या नहीं है।

क्राइम ब्रांच के एक डीसीपी स्तर के अधिकारी और जिला पुलिस के एक सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी से इस मामले की जांच को लेकर जब बात हुई तो दोनों के ही जेहन में करीब-करीब एक से ही सवाल मौजूद मिले। सवालों में सबसे महत्वपूर्ण था कि हमलावर बाहरी थे या विवि के अंदर के ही? नकाबपोश अगर आसपास के इलाकों (किशनगढ़, हुमायूंपुर इत्यादि इलाकों) के थे, तो वे विवि परिसर में पहुंच कैसे गए? जबकि क्राइम ब्रांच को इसके भी तमाम सबूत मिल चुके हैं कि घटना से कई घंटे पहले ही संबंधित जिला पुलिस कंट्रोल रूम की जिप्सियां (पीसीआर वैन) विवि परिसर के आसपास तैनात थीं।

ऐसे में सवाल यह भी पैदा होता है कि पीसीआर जिप्सियां विवि परिसर के आसपास घटना के घंटों पहले खड़ी होने के बाद भी रविवार देर रात तक हिंसा आखिर क्यों और कैसे होती रही? क्या जेएनयू प्रशासन ने दिल्ली पुलिस को विवि परिसर में बुलाने में जान-बूझकर देरी की?

क्राइम ब्रांच के एक सूत्र के मुताबिक, जेएनयू के हर गेट पर 5-6 सुरक्षाकर्मी रहते हैं। बिना इंटरकॉम, मोबाइल पर इजाजत मिले या फिर बिना टोकन के कोई भी कैंपस के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता। फिर नकाबपोश हथियारबंद (लाठी-डंडे या धारदार हथियारबंद) अज्ञात या बाहरी हमलावर कब और कैसे कैंपस में पहुंच गए?

क्राइम ब्रांच की टीमों ने इस मामले की जांच के लिए जेएनयू प्रशासन से सीसीटीवी फूटेज मुहैया कराने को कहा है।

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने बताया, सीसीटीवी फूटेज से नकाबपोशों की पहचान करने में बहुत मदद मिलेगी। भले ही उनके चेहरे क्यों न ढंके हों। मगर उनके कपड़ों और शारीरिक ढांचे से उन्हें पहचानने में आसानी हो जाएगी। मोबाइल और सीसीटीवी फूटेज की मदद से ही एक ऐसी नकबापोश लड़की की पुलिस ने पहचान कर ली है, जो दोपहर बाद जिस शर्ट में कैंपस में दिखाई दे रही थी, रात के अंधेरे में हुई हिंसा के दौरान भी वह उसी शर्ट में फूटेज में साफ-साफ नजर आ रही है।

दिल्ली पुलिस के एक विशेष आयुक्त स्तर के अफसर के मुताबिक, जांच के दौरान क्राइम ब्रांच को यह भी देखना तलाशना होगा कि लाठी-डंडों से लैस नकाबपोश जब अंदर पहुंचे और शाम को जब कैंपस के भीतर खून-खराबा शुरू हुआ, तब अचानक ही कैंपस के अंदर तमाम हिस्सों में अंधेरा आखिर कैसे और क्यों छा गया? बिजली अगर विभाग द्वारा काटी गई होगी तो पुलिस को विद्युत विभाग तुरंत बता देगा। अगर साजिशन लाइट काटी गई होगी तो इसे पता करने जरूर क्राइम ब्रांच को थोड़ी मुश्किल होगी।

उल्लेखनीय है कि इस घटना में 40 से ज्यादा छात्र और शिक्षक जख्मी हुए हैं। वसंतकुंज थाने में पुलिस की तरफ से अभी तक एक मामला दर्ज कराया जा चुका है। यह मारपीट और दंगा कितना भयावह था, इस बारे में डीसीपी स्तर के एक अधिकारी ने बताया, रविवार शाम-रात जेएनयू कैंपस से 100 से ज्यादा ऐसी कॉल्स पुलिस नियंत्रण कक्ष को मिलीं, जिनमें लोग अपनी जान बचाने के लिए पुलिस से गुहार लगाते सुने गए।

Created On :   6 Jan 2020 8:30 AM GMT

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