अयोध्या की स्थापना कैसे हुई और कैसे बनी यह विश्व प्रसिद्ध नगरी

How Ayodhya was established and how this world famous city became
अयोध्या की स्थापना कैसे हुई और कैसे बनी यह विश्व प्रसिद्ध नगरी
नई दिल्ली अयोध्या की स्थापना कैसे हुई और कैसे बनी यह विश्व प्रसिद्ध नगरी
हाईलाइट
  • वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईशा पूर्व हुए थे

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। भारत के प्राचीन नगरों में से एक अयोध्या को हिंदू पौराणिक इतिहास में पवित्र सप्त पुरियों में शामिल किया जाता है जिसमें मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्जैनी और द्वारका जैसे नगर शामिल हैं। अयोध्या को अर्थ वेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और उसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। अयोध्या में कई महान योद्धा, ऋषि मुनि और अवतारी पुरुष हो चुके हैं। भगवान राम ने भी यहीं जन्म लिया था। जैन मतानुसार यहां आदिनाथ सहित पांच तीथर्ंकर का जन्म हुआ था। सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की रामायण अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी। मथुरा के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईशा पूर्व हुए थे। ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ, कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे।

वैवस्वत मनु के 10 पुत्र इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ठ, नरीष्यंत, करुष, महाबली, शर्यति और पृषध थे। इसमें इक्ष्वाकु कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ। इक्ष्वाकु कुल में कई महान प्रतापी राजा, ऋषि अरिहंत और भगवान हुए हैं। इसी कुल में आगे चलकर प्रभु श्रीराम हुए। अयोध्या पर महाभारत काल तक इसी वंश के लोगों का शासन रहा। पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी से जब मनु ने अपने लिए एक नगर निर्माण की बात कही तो वह उन्हें विष्णु जी के पास ले गए। विष्णु जी ने उन्हें साकेतधाम का उपयुक्त स्थान बताया। विष्णु जी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देव शिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया। इसके अलावा अपने रामअवतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्ठ को भी उनके साथ भेजा। मान्यता है कि वशिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीला भूमि का चयन किया गया। जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया।

भगवान श्री राम के बाद लव श्रावस्ती बसाई और इसका स्वतंत्र उल्लेख अगले 800 वर्षों तक मिलता है। कहते हैं कि भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था। इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा। रामचंद्र से लेकर द्वापर कालीन महाभारत और उसके बाद तक हमें अयोध्या के सूर्यवंशी इक्ष्वाकु के उल्लेख मिलते हैं। इस वंश का बृहद्रथ, अभिमन्यु के हाथों महाभारत में युद्ध में मारा गया था। महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़ सी गई लेकिन उस दौर में भी श्री राम जन्म भूमि का अस्तित्व सुरक्षित था। जो लगभग 14 वी सदी तक बरकरार रहा।

बृहद्रथ के कई काल के बाद यह नगर मगध के मौर्यों को लेकर गुप्त और कन्नौज के शासकों के अधीन रहा। अंत में यहां पर महमूद गजनी के भांजे सैयद सालार ने तुर्की शासन की स्थापना की। वह बहराइच में 1033 ईस्वी में मारा गया था। उसके बाद तैमूर के पश्चात जब जौनपुर में शकों का राज्य स्थापित हुआ तो अयोध्या शकियों के अधीन हो गई। विशेष रूप से शक शासक महमूद शाह के शासनकाल में 1440 ई. में। बाद में 1526 ई. में बाबर ने मुगल राज्य की स्थापना की और उसके सेनापति ने 1528 में यहां पर आक्रमण कर मस्जिद निर्माण करवाया जो 1992 में मंदिर मस्जिद विवाद के चलते राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान ढहा दी गई।

(आईएएनएस)

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Created On :   15 Aug 2022 11:01 AM GMT

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