हुमायूं का मकबरा तोड़कर बनाया जाए कब्रिस्तान : शिया वक्फ बोर्ड

Humayuns Tomb to be given to Muslims for burial grounds
हुमायूं का मकबरा तोड़कर बनाया जाए कब्रिस्तान : शिया वक्फ बोर्ड
हुमायूं का मकबरा तोड़कर बनाया जाए कब्रिस्तान : शिया वक्फ बोर्ड

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर मांग की है कि दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे की जमीन को दिल्ली के मुसलमानों को कब्रिस्तान के लिए दी जानी चाहिए। पीएम मोदी को लिखे पत्र में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि दिल्ली में मुस्लिम समाज के पास मृत लोगों को दफनाने के लिए जमीन नहीं है। जिससे मुस्लिम समाज के लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है। हुमायूं के मकबरे से लगी कई एकड़ जमीन देने से इस समस्या का समाधान निकल आएगा। इस पर कोई आपत्ति नहीं करेगा, हुमायूं न तो मुस्लिम धर्मप्रचारक था और न ही धर्मगुरू। इससे उलट वह एक आक्रांता था, जो भारत को लूटने के मकसद से भारत आया था।  

लुटेरा था हुमांयू, जमीन लेने में हर्ज नहीं
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में मुगलों को लुटेरा बताते हुए कहा कि मुगलों ने भारत में 3,000 मंदिरों को ध्वस्त दिया। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में वक्फ बोर्ड ने कहा कि 35 एकड़ में फैला हुमायूं का मकबरा कब्रिस्तान बनाने के काम आ सकता है। इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि हुमायूं न तो इस्लामिक प्रचारक था और न ही कोई धर्मगुरु। वह एक आक्रांता था, जिसकी हिंदुस्तान को लूटने में ही दिलचस्पी थी। पत्र में कहा गया है कि शिया वक्फ बोर्ड चाहता है कि दिल्ली में मुसलमानों को कब्रिस्तान की भारी किल्लत है। इस किल्लत को देखते हुए हुमायूं के मकबरे की जमीन पर मुसलमानों के लिए कब्रिस्तान बनाया जाना चाहिए। इतिहासकारों का कहना है कि मुगलों ने 3,000 से अधिक मंदिरों को अपनी ताकत से ध्वस्त दिया था। एक आक्रांता के स्मारक से जुड़ी जमीन को मुस्लिम समाज को कब्रिस्तान बनाने के लिए दे दिया जाना चाहिए। 

यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल है मकबरा
हुमायूं का मकबरा यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल है। मकबरे के आसपास की दर्जनों इमारतों को भी यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है। यह मकबरा हुमायूँ की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम ने सन 1562 में बनाया था। मकबरे के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घियाथुद्दीन थे, जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से बुलवाया गया था। मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई। यह भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली की पहली इमारत थी। 1993 में इस इमारत समूह को युनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। इस परिसर में मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है। हुमायूँ की कब्र के अलावा उसकी बेगम हमीदा बानो तथा बाद के सम्राट शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह के अलावा जहांदर शाह, फर्रुख्शियार, रफी उल-दर्जत, रफी उद-दौलत एवं आलमगीर द्वितीय आदि की कब्रें स्थित हैं।

         

Created On :   24 Oct 2017 10:20 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story