घर वापसी की जंग: आंध्र के रास्ते सील, तमिलनाडु की सीमा पर फंसे सैंकड़ों मजदूर

Hundreds of laborers stranded on the border of Tamil Nadu due to sealing through Andhra
घर वापसी की जंग: आंध्र के रास्ते सील, तमिलनाडु की सीमा पर फंसे सैंकड़ों मजदूर
घर वापसी की जंग: आंध्र के रास्ते सील, तमिलनाडु की सीमा पर फंसे सैंकड़ों मजदूर

डिजिटल डेस्क, अमरावती। कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए आंध्र प्रदेश पुलिस ने राज्य में प्रवेश करने वाले मार्गों को सील कर दिया है, जिससे उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में अपने घरों के लिए निकले सैकड़ों प्रवासी मजदूर तमिलनाडु की सीमा पर फंसे हुए हैं। यह मजदूर ओडिशा, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।

यह प्रवासी मजदूर चिलचिलाती धूप में बिना भोजन और पानी के 1,700 से 2,000 कि.मी. की दूरी तय करने के जोखिमों से पूरी तरह वाकिफ हैं, मगर उनका कहना कि उनके पास इसके अलावा अन्य कोई विकल्प भी तो नहीं है। ओडिशा में अपने घर लौट रहे एक मजदूर ने कहा, हमारे पास भोजन खरीदने या घर का किराया देने के लिए पैसे नहीं हैं। हम चेन्नई में नहीं रह सकते थे और चूंकि कोई ट्रेन या बस उपलब्ध नहीं है, इसलिए पैदल चलना ही एकमात्र विकल्प है।

एक अन्य मजदूर ने कहा, हमें वापस जाने के लिए कहा जा रहा है। इतनी लंबी दूरी तय करने के बाद हम वापस कैसे जा सकते हैं। अधिकारियों को हमें आंध्र प्रदेश से गुजरने के लिए कुछ सहानुभूति दिखानी चाहिए। चेन्नई और इसके आसपास के अन्य उपनगरों से पैदल चलकर सीमा पर पहुंचे श्रमिकों को आंध्र प्रदेश पुलिस ने राज्य में प्रवेश करने से मना कर दिया। गूगल के मौसम के अनुसार सीमा पर तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना है और इस संकट के समय जब मजदूरों को भर पेट भोजन भी नहीं मिल रहा है, उनकी हालत दयनीय बनी हुई है।

चितकुल जिले में श्रीकाकुलम जिले के एक प्रवासी श्रमिक की मौत हो गई। वह कुछ अन्य लोगों के साथ अपने गृह जिले की ओर जा रहा था। इस समूह को मजबूरन चंद्रगिरि में ही रुकना पड़ा। मोहन राव कथित तौर पर बीमार हो गया और शनिवार को उसकी मौत हो गई। पुलिस ने ऐसे कई श्रमिकों को भी वापस भेज दिया, जो राज्य में प्रवेश करने में कामयाब रहे थे। जो लोग नेल्लोर, ओंगोल और यहां तक कि विजयवाड़ा तक पहुंच गए थे, उन्हें वापस सीमा पर ले जाया गया।

तमिलनाडु के तिरुवल्लुर जिले में सीमा पर 2,000 से अधिक भूखे और थके हुए मजदूर फंसे हुए हैं। ये सभी ओडिशा, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अपने घरों तक पहुंचने के लिए चेन्नई-कोलकता हाईवे पर चल रहे थे। इनमें आंध्र प्रदेश के ओडिशा की सीमा से लगे श्रीकाकुलम और विजिनगरम जिलों के मजदूर भी शामिल हैं।

मजदूरों के पास अपने घरों में वापस जाने के लिए पैसे और परिवहन की कमी होने से वह मजबूरन चेन्नई पैदल ही निकल पड़े। इनके साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं। पिछले कुछ दिनों के दौरान कई मजदूर विजयवाड़ा पहुंचने के लिए 500 कि. मी. की दूरी तय करने में सफल रहे और अपनी आगे की यात्रा जारी रखी।

श्रमिकों की दुर्दशा को देखते हुए कुछ स्वैच्छिक संगठनों ने सीमा पर फंसे प्रवासियों के बीच भोजन और पानी का वितरण शुरू किया। उन्होंने दोनों राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तमिलनाडु पुलिस ने भी सीमा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर चेक-पोस्ट स्थापित किए हैं ताकि आंध्र प्रदेश से आने वाले श्रमिकों को सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी जा सके।

आंध्र प्रदेश के अधिकारियों ने तमिलनाडु के प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही रोकने का फैसला किया, क्योंकि उन्हें बड़ी संख्या में चले आ रहे मजदूरों की भीड़ से निपटने में मुश्किल हो रही थी। आंध्र प्रदेश में राजमार्ग पर कई मजदूर बीमार हो रहे हैं, राज्य सरकार पर भी संकट में लोगों के बचाव में आने का दबाव है। अधिकारियों ने कहा कि 6,000 प्रवासी श्रमिकों को सीमा चौकियों पर रोका गया और पिछले कुछ दिनों के दौरान राहत शिविरों में भेजा गया।

सड़क और भवन विभाग के प्रधान सचिव एम.टी. कृष्णा बाबू ने पहले कहा था कि सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के लिए उनके पैतृक स्थानों पर भोजन और पानी उपलब्ध कराने के लिए सहायक उपाय किए हैं। मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने अधिकारियों से उन प्रवासियों की काउंसलिंग कराने के लिए भी कहा था जो अपने राज्यों में वापस जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने मजदूरों को राहत शिविरों में भेजने के साथ श्रमिक ट्रेनों के इंतजाम की बात भी कही थी।

इस बीच विजयवाड़ा पुलिस ने शनिवार को अपने गृह राज्यों की ओर जाने वाले प्रवासी कामगारों के एक काफिले को रोकने के लिए हल्का बल प्रयोग किया।

 

Created On :   16 May 2020 9:30 AM GMT

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