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नई दिल्ली: अमृत काल में मीडिया से जुड़े आयामों पर शोध करेगा आईआईएमसी: प्रो. द्विवेदी

हाईलाइट
- अमृत के रूप में आज़ादी के सौ वर्षों का उत्सव मनाएंगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् के सदस्य सचिव प्रो. कुमार रत्नम ने कहा कि भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन सौ-दो सौ साल पुराना नहीं है, बल्कि वह उसी दिन प्रारंभ हो गया था जब भारत पर विदेशी आक्रमण शुरू हुए। उन आक्रमणों के प्रतिकार और स्वत्व के जागरण में शहीद हो गए ऐसे अनेक चेहरे हैं, जिनका नाम इतिहास में दर्ज नहीं है। ऐसे चेहरों के बारे में जानकारी देश के हर हिस्से में मौजूद है। आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान ऐसे गुमनाम चेहरों को सामने लाने के लिए मीडिया को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इस प्रयास में मीडिया को उन गुमनाम पत्रकारों के प्रयासों से भी देश को अवगत कराना चाहिए, जिन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान स्वत्व के जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय, भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी और अपर महानिदेशक आशीष गोयल भी उपस्थित थे।
प्रो. रत्नम ने कहा कि आज इतिहास की रिक्तताएं और विकृतियां समाप्त करने की जरूरत है। जब हम स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास पर नजर डालते हैं, तो लगता है कि केवल एक ही परिवार या एक ही संस्था ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी, जबकि उस दौरान दो-ढाई सौ से अधिक संस्थाओं को प्रतिबंधित किया गया था। ऐसे विषयों को निकाल कर जब हम अमृत के रूप में आज़ादी के सौ वर्षों का उत्सव मनाएंगे, तो इतिहास की यह रिक्तता समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ विचारकों ने यह विमर्श बनाने का प्रयास किया कि भारत में इतिहास बोध नहीं रहा है, जबकि भारत में इतिहास लेखन की समृद्ध परम्परा रही है। भारत के पुराणों, महाकाव्यों में न केवल इतिहास शब्द का उल्लेख है, बल्कि इतिहास की परिभाषा भी बताई गई है। कल्हण की ‘राजतरंगिनी’ जैसे दूसरे ग्रंथ की जानकारी विश्व में नहीं मिलती। फिर भी यह कहना कि भारत में इतिहास बोध नहीं है, सरासर गलत है।
वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय ने पश्चिमी देशों की मीडिया के औपनिवेशिक स्वरूप को समझने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया उतना ही साम्राज्यवादी, उपनिवेशवादी और विस्तारवादी मानसिकता में पला-बढ़ा है, जितना साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद। भले ही सोशल मीडिया के आने के बाद ‘कंटेंट’ का लोकतंत्रीकरण हुआ है, परन्तु कंटेंट के प्रसार और वितरण का बढ़ता केन्द्रीयकरण लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवदी ने कहा कि भारतीय जन संचार संस्थान अमृत काल में मीडिया से जुड़े विभिन्न आयामों पर शोध करेगा। उन्होंने कहा कि इतिहास के पुनर्पाठ और उसे सत्यपरकता के साथ सामने लाने की आवश्यकता है। साथ ही स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े अनाम योद्धाओं पर भी काम होना चाहिए। प्रो. द्विवेदी के अनुसार देश तथ्यों के आधार पर चलता है और यह मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह तथ्यपरकता का ध्यान रखे।
संगोष्ठी के संयोजक एवं आईआईएमसी में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. प्रमोद कुमार ने बताया कि संगोष्ठी में 100 से अधिक शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये और दो दर्जन से अधिक विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किये। इससे पूर्व संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा, में पत्रकारिता विभाग के संयोजक डॉ. सुबोध कुमार ने ‘स्वाधीनता संग्राम के दौरान विज्ञान संचारक’ विषय पर एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक डॉ. रवींद्र अग्रवाल ने ‘स्वाधीनता संग्राम में समाचार एजेंसियों की भूमिका’ पर अपने विचार व्यक्त किये। दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक डॉ. अमृता शिल्पी ने ‘महिला, मीडिया और स्वराज के लिए संघर्ष’ विषय पर विचार प्रस्तुत किए।
एक अन्य सत्र में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज़ के अध्यक्ष प्रो. हीरामन तिवारी, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कश्मीर अध्ययन केंद्र में सहायक प्राध्यापक डॉ. जयप्रकाश सिंह और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रमुख डॉ. शाहिद अली ने ब्रिटिश शासन के दौरान गढ़े गए औपनिवेशिक विमर्शों पर अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में एक सत्र ‘प्रेस और भारत विभाजन’ पर केन्द्रित रहा। इस सत्र को मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के डीन प्रो. एहतेशाम अहमद खान और राष्ट्रीय सिन्धी भाषा संवर्धन परिषद् के निदेशक प्रो. रवि टेकचंदानी ने संबोधित किया।
आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।
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