भारतीय मौसम विभाग का अनुमान, इस साल सामान्य के करीब रहेगा मानसून

IMD predicts near normal monsoon this year, sends feel good signal to farmers
भारतीय मौसम विभाग का अनुमान, इस साल सामान्य के करीब रहेगा मानसून
भारतीय मौसम विभाग का अनुमान, इस साल सामान्य के करीब रहेगा मानसून
हाईलाइट
  • इस साल भारत में मानसून के सामान्य के करीब रहने की संभावना है।
  • भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने लॉन्ग पीरियड मानसून एवरेज (LPA) के 96% रहने का अनुमान लगाया है।
  • सोमवार को IMD ने अपने प्रथम चरण के लॉन्ग रेंज फोरकास्ट (LRF) को जारी करते हुए ये बात कही है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल भारत में मानसून के सामान्य के करीब रहने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने लॉन्ग पीरियड मानसून एवरेज (LPA) के 96% रहने का अनुमान लगाया है। इसमें 5 प्रतिशत बरसात ऊपर-नीचे हो सकती है। सोमवार को IMD ने अपने प्रथम चरण के लॉन्ग रेंज फोरकास्ट (LRF) को जारी करते हुए ये बात कही है। मौसम विभाग मानसून का अगला अपडेट जून के पहले हफ्ते में देगा।

IMD का ये अनुमान किसानों के लिए भी अच्छी खबर लेकर आया है। IMD के अनुसार जून से सितंबर की अवधि में देश भर में अच्छी वर्षा होगी। पूर्वानुमान जारी करते हुए, अर्थ साइंस सेक्रेटरी एम राजीवन और IMD के डायरेक्टर जनरल केजे रमेश ने कहा कि 2019 का दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन खाद्य उत्पादन के नजरिए से किसानों के लिए अच्छा रहने की उम्मीद है। इससे किसानों को खरीफ (गर्मियों) की फसलों की बुवाई में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि लंबी अवधि का औसत 96 फीसदी रहने की उम्मीद है जिससे देशभर में 89 सेंटीमीटर बारिश होगी।

IMD ने दुनिया भर की एजेंसियों की उन आशंकाओं को भी सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि अलनीनो मानसून की चाल को कमजोर कर सकता है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों की मौसम एजेंसियों और भारत की प्राइवेट मौसम एजेंसी स्काईमेट ने अपने अनुमान में कहा था कि मानसून की चाल पर अलनीनो के असर देखने को मिलेगा। जबकि IMD ने कहा कि इस साल मानसून सामान्य रहेगा और अलनीनो का असर नहीं होगा।

IMD के मुताबिक इस साल मानसून सीजन में सामान्य से बहुत ज्यादा (110 प्रतिशत से ज्यादा) बरसात की संभावना 2 प्रतिशत है जबकि सामान्य से अधिक (104-110 प्रतिशत) की संभावना 10 प्रतिशत है। इसके अलावा सामान्य बरसात यानि 96-104 प्रतिशत बरसात की संभावना 39 प्रतिशत है। यानि कुल मिलाकर सामान्य या सामान्य से अधिक बरसात की संभावना 50 प्रतिशत से ज्यादा है।

वहीं, सामान्य से थोड़ी कम (90-96) प्रतिशत बारिश की संभावना 32 प्रतिशत और 90 प्रतिशत से कम बारिश की संभावना 16 प्रतिशत है। मानसून सीजन के दौरान अगर 90 प्रतिशत से कम बरसात हो तो सूखाग्रस्त घोषित किया जाता है। यानि इस साल 16 प्रतिशत संभावना सूखाग्रस्त मानसून की भी है।

इससे पहले प्राइवेट वेदर फोरकास्ट एजेंसी स्काईमेट ने जून से सितंबर महीने तक सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान जताया था। स्काईमेट ने अनुमान जताया था कि सामान्य से कम बारिश होने की संभावना 55% है। जबकि, लंबी अवधि में मानसून का औसत 93% रह सकता है। सामान्य से कम बारिश होने के पूर्वानुमान के लिए स्काईमेट ने अल नीनो इफेक्ट को जिम्मेदार बताया था।

अल नीनो फिनोमिनन के बनने का मतलब है कि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में तापमान में वृद्धि। यह मानसून के मौसम के दौरान होने वाली बारिश का पहला संकेत है। अल नीनो के कारण बारिश कम हो जाती है, जबकि इसके विपरीत ला नीना अच्छी बारिश लाता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में पिछले 20 बार पड़े सूखे में से 13 बार सूखा अल नीनो के दौरान पड़ा। 2014 और 2015 में अल नीनो के कारण लगातार दो साल सूखा पड़ा था। स्काईमेट ने भी इस बार सूखे की संभावना से पूरी तरह से इनकार नहीं किया है।

स्काईमेट ने पूर्वानुमान जताया था कि जून में बारिश लॉन्ग पीरियड मानसून (एलपीए) की 77 प्रतिशत, जुलाई में 91 प्रतिशत, अगस्त में 102 प्रतिशत और सितंबर में 99 प्रतिशत होगी। बता दें कि जब एलपीए 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच होता है तो मानसून सामान्य माना जाता है। स्काइमेट के मुताबिक, पूर्वी भारत और मध्य भारत के ज्यादातर हिस्सों में मानसून के खराब रहने की आशंका है। इन इलाकों में शुरुआती दो महीनों में मानसून कमजोर रहेगा।

Created On :   15 April 2019 12:15 PM GMT

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