दुनिया की सबसे तेज 'ब्रह्मोस' का सफल परीक्षण, राडार पर भी पकड़ना 'नामुमकिन'
- राजस्थान के पोखरण में गुरुवार सुबह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' को एक बार से परीक्षण किया गया
- जो सफल रहा।
- 12 फरवरी 1998 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और रूस के पहले डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर एनवी मिखाइलॉव ने मिलकर एक 'इंटर गवर्नमेंटल एग्रीमेंट' पर साइन किए थे
- जिसके बाद ही ब्रह्मोस को बनाने का रास्ता साफ हुआ था।
- इस मिसाइल का नाम भी भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान के पोखरण में गुरुवार सुबह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल "ब्रह्मोस" को एक बार से परीक्षण किया गया, जो सफल रहा। इस मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज एंटी शिप मिसाइल में गिना जाता है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि कम ऊंचाई पर भी तेजी से उड़ान भर सकती है, साथ ही इसे रडार पर भी पकड़ पाना नामुमकिन है। पोखरण फायरिंग रेंज में हुए इस परीक्षण में आर्मी और DRDO के कई आला अफसर मौजूद थे।
साउंड की स्पीड से भी तेज है ब्रह्मोस
गुरुवार सुबह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का लड़ाकू विमान सुखोई के साथ सफल परीक्षण किया गया। जानकारी के मुताबिक ब्रह्मोस मिसाइल की स्पीड साउंड की स्पीड से करीब तीन गुना ज्यादा यानी 2.8 मैक की स्पीड से हमला कर सकती है। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है। हालांकि सुखोई-30 फुल टैंक ईंधन के साथ ये मिसाइल 2500 किलोमीटर तक मार सकता है। इतना ही नहीं ब्रह्मोस एक बार में 300 किलोग्राम तक युद्धक सामग्री ले जा सकती है।
Formidable Supersonic Cruise Missile #BrahMos was successfully flight tested at 8:42 AM today at Pokhran test range, Rajasthan.
— Raksha Mantri (@DefenceMinIndia) March 22, 2018
The precision strike weapon with Indian-made seeker flew in its designated trajectory and hit the target with pin-point accuracy.@PIB_India @MIB_India
दुनिया की कोई मिसाइल नहीं टिकती
ब्रह्मोस मिसाइल के सामने दुनिया की कोई भी मिसाइल नहीं टिकती। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज स्पीड से चलने वाली मिसाइल है और इसका निशाना भी "अचूक" है। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन के पास भी ब्रह्मोस की टक्कर की कोई मिसाइल नहीं है। यहां तक कि अमेरिका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसकी बराबरी नहीं कर सकती।
पिछले साल किया गया था सफल परीक्षण
इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण पिछले साल 22 नवंबर को किया गया था। उस वक्त सुखोई-30 लड़ाकू विमान के साथ सफल परीक्षण किया गया था। अब दूसरी बार ब्रह्मोस को राजस्थान के पोखरण में सफल परीक्षण किया गया है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 2006 से ही आर्मी और नेवी का हिस्सा बनी हुई है लेकिन अब ये मिसाइल एयरफोर्स में भी शामिल हो जाएगी। इस मिसाइल को अब धीमे चलने वाले वॉरशिप की बजाय तेज गति से उड़ने वाले सुखोई से भी दागा जा सकेगा।
क्या है ब्रह्मोस सुपरसोनिक की खासियत?
- ब्रह्मोस साउंड की स्पीड से भी करीब 3 गुना स्पीड यानी 2.8 मैक की स्पीड से अटैक कर सकती है।
- ब्रह्मोस 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 290 किलोमीटर तक के टारगेट को अटैक कर सकती है।
- सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस कम ऊंचाई से उड़ान भरती है, जिससे इसे रडार पर नहीं पकड़ा जा सकता।
क्या है ब्रह्मोस?
बता दें कि 12 फरवरी 1998 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और रूस के पहले डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर एनवी मिखाइलॉव ने मिलकर एक "इंटर गवर्नमेंटल एग्रीमेंट" पर साइन किए थे, जिसके बाद ही ब्रह्मोस को बनाने का रास्ता साफ हुआ था। इस मिसाइल का नाम भी भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा नदी के नाम को जोड़कर रखा गया है। इस मिसाइल को भारत के DRDO और रूस के NPOM ने मिलकर बनाया है।
Created On :   22 March 2018 2:54 PM IST