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Hong Kong: हॉन्ग कॉन्ग पर थोंपे गए चीन के नए कानून पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चिंता जताई

हाईलाइट
- हॉन्ग कॉन्ग के नए सुरक्षा कानून पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी चिंता जाहिर की
- UN में भारत के स्थाई प्रतिनिधि ने कहा, हॉन्ग कॉन्ग में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है
- इसे देखते हुए भारत हालिया घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हॉन्ग कॉन्ग पर चीन की ओर से थौंपे गए नए सुरक्षा कानून पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी चिंता जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजीव. के. चंदर ने कहा, हॉन्ग कॉन्ग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है। इसे देखते हुए भारत हालिया घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। हमने हॉन्ग कॉन्ग में हो रहे घटनाक्रमों को लेकर कई चिंताजनक बातें सुनी हैं। हमें उम्मीद है इस मसले से संबंधित सभी पक्ष ध्यान देंगे और इसका बेहद गंभीरतापूर्ण तरीके से समाधान निकाला जाएगा। इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने हॉन्ग कॉन्ग पर थोंपे गए नए कानून को चीन-ब्रिटेन समझौते का स्पष्ट और गंभीर उल्लंघन बताया था, जिसके तहत हॉन्ग कॉन्ग को चीनी प्रशासन को सौंपा गया था।
#WATCH Given the large Indian community that makes #HongKong its home, India has been keeping a close watch on recent developments... : Rajiv K Chander,India's ambassador&permanent representative to the UN in Geneva pic.twitter.com/qeu5huexRm
— ANI (@ANI) July 1, 2020
मंगलवार को पास हुआ था नया कानून
बता दें कि चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने मंगलवार को सर्वसम्मति से हॉन्ग कॉन्ग के लिए नेशनल सिक्योरिटी लॉ को पारित कर दिया। इस कानून के पारित होने से हॉन्ग कॉन्ग के अधिकारों, स्वायत्तता में कटौती हो गई है। इस कानून में जेल में अधिकतम सजा उम्रकैद है। जानकारों का कहना है कि नेशनल सिक्योरिटी लॉ के पास होने से राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर हॉन्ग कॉन्ग की आजादी अब खत्म हो जाएगी। राजद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की परिभाषा तय करने का अधिकार अब चीन और उसकी कठपुतली चीफ एक्जीक्यूटिव सरकार को मिल गया है। इस लॉ के बहाने अब लोकतंत्र समर्थकों और आजाद हॉन्ग कॉन्ग की मांग करने वालो को निशाना बनाया जाएगा। जानकार इसे हॉन्ग कॉन्ग की लोकतंत्र की उम्मीदों के ताबूत में आखिरी कील बता रहे हैं। नेशनल सिक्योरिटी लॉ के लागू होने के 24 घंटे से कम समय में बुधवार को 7 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
हॉन्ग कॉन्ग को अपने कब्जे में लेना चाहती है चीनी सरकार
1997 में हॉन्ग कॉन्ग की 99 साल की लीज खत्म होने से पहले 1984 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर और चीन के प्रमुख झाओ ज़ियांग ने सीनो ब्रिटिश जॉइंट डिक्लेरेशन पर साइन किया था। इस डिक्लेरेशन के तहत दोनों देश इस बात पर राजी हुए कि चीन 50 साल के लिए 'एक देश-दो व्यवस्था' की नीति के तहत हॉन्ग कॉन्ग को कुछ पॉलिटिकल और सोशल ऑटोनॉमी देगा। इसके बाद चीन ने हॉन्ग कॉन्ग को विशेष प्रशासनिक क्षेत्र का दर्जा दिया। अब हॉन्ग कॉन्ग के पास अपना एक मिनी संविधान था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे नागरिक अधिकार थे। हालांकि इस नए सिस्टम में हॉन्ग कॉन्ग के लोगों पर 50 साल की तलवार भी लटक रही थी जिसके बाद उन्हें दिए गए स्वायत्तता के अधिकार छीन लिए जाने थे। 50 साल की मियाद 2047 में पूरी होनी है, लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार 50 साल का भी इंतजार करने को राजी नहीं है। वो अभी से हॉन्ग कॉन्ग को अपने कब्जे में लेना चाहती है। इसी वजह से वह नेशनल सिक्योरिटी लॉ लेकर आई है।
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