चंद्रयान-2 ने किए तीन स्टेप पार, इसरो ने सफलतापूर्वक बदला स्पेसक्राफ्ट का ऑर्बिट

चंद्रयान-2 ने किए तीन स्टेप पार, इसरो ने सफलतापूर्वक बदला स्पेसक्राफ्ट का ऑर्बिट
हाईलाइट
  • 2 और 6 अगस्त को भी इसरो स्पेसक्राफ्ट की कक्षा को बदलेगा
  • इसरो के वैज्ञानिकों ने सोमवार को चंद्रयान-2 की कक्षा तीसरी बार बदली
  • चंद्रयान-2 अब 276 x 71
  • 792 किमी की कक्षा में पहुंच गया है

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों ने सोमवार को चंद्रयान-2 की कक्षा तीसरी बार सफलतापूर्वक बदली। अब अंतरिक्ष यान 221 x 143585 किमी की कक्षा में पहुंचने के लिए दो बार 2 और 6 अगस्त को अपनी कक्षा बदलेगा। इसके बाद 14 अगस्त को वह अपने मिशन चंद्रमा की ओर बढ़ जाएगा।

इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 को योजना अनुसार तीसरी बार आज दोपहर तीन बजकर 12 मिनट पर ऊपरी कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया गया है। इस कार्य में यान में उपलब्ध प्रणोदन प्रणाली का 989 सेकंड तक इस्तेमाल किया गया। इसरो ने तीसरी ऑर्बिट-रेजिंग करने के बाद, ट्वीट भी किया और कहा कि "अब हम चांद के सफर पर 3 कदम आगे बढ़ गए हैं।

 

 

इससे पहले 26 जुलाई और 24 जुलाई को इसरो ने चंद्रयान-2 की कक्षा को बदलकर उसे पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में पहुंचाया था। 26 जुलाई से स्पेसक्राफ्ट 251 x 54,829 किमी की कक्षा में घूम रहा था। अब वह 276 x 71,792 किमी की कक्षा में पहुंच गया है।

चंद्रयान-2 आखिरी बार 6 अगस्त को ऑर्बिट-रेजिंग करेगा। इसके बाद करीब आठ दिन तक पृथ्वी की आखिरी कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा और फिर 14 अगस्त को वह पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर चांद की कक्षा की तरफ बढ़ जाएगा। भारतीय स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की कक्षा में 20 अगस्त को प्रवेश करेगा। इसका लैंडर और रोवर 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।

बता दें कि चंद्रयान-2 को सोमवार (22 जुलाई) को दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद ही यान सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया था। 

ऑर्बिटर
लॉन्च के समय, चंद्रयान 2 ऑर्बिटर बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) के अलावा विक्रम लैंडर के साथ कम्यूनिकेट करने में सक्षम होगा। ऑर्बिटर की मिशन लाईफ एक वर्ष है और इसे 100X100 किलोमीटर लंबी चंद्र ध्रुवीय कक्षा में रखा जाएगा। इसका वजन 23,79 किलोग्राम है और विद्युत उत्पादन क्षमता 1,000 वॉट है।

लैंडर — विक्रम
चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया है, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है। विक्रम के पास बेंगलुरु के नज़दीक बयालू में आई डी एस एन के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ कम्यूनिकेशन करने की क्षमता है। लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका वजन 1471 किलोग्राम है। और विद्युत उत्पादन क्षमता 650 वॉट है।

रोवर — प्रज्ञान
चंद्रयान 2 का रोवर, प्रज्ञान नाम का 6-पहिए वाला एक रोबोट वाहन है, जो संस्कृत में "ज्ञान" शब्द से लिया गया है। यह 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) तक यात्रा कर सकता है और सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। यह सिर्फ लैंडर के साथ कम्यूनिकेशन कर सकता है। इसका वजन 27 किलोग्राम है और विद्युत उत्पादन क्षमता 50 वॉट है।

हम चांद पर क्यों जा रहे हैं?
चंद्रमा पृथ्‍वी का नज़दीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं। यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्‍नोलॉजी आज़माने का परीक्षण केन्‍द्र भी होगा। चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, टेक्नोलॉजी की प्रगति को बढ़ावा देने, ग्लोबल अलायंस को आगे बढ़ाने और एक्सप्लोरर्स और वैज्ञानिकों की आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा।

Created On :   30 July 2019 12:03 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story