शपथ लेते ही इंदु मल्होत्रा ने रचा इतिहास, वकील से SC जज बनने वालीं पहली महिला
- इंदु मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट के जज की शपथ ले ली है
- इंदु को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने पद की शपथ दिलाई।
- अब सुप्रीम कोर्ट के 25 जजों में महिला जजों की संख्या दो हो गई है।
- इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट के 68 साल के इतिहास में जज बनने वाली सातवीं महिला जज हैं।
- सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ लेते ही इंदु मल्होत्रा ने इतिहास रच दिया
- वो भारतीय इतिहास की ऐसी पहली महिला बन गई हैं जो व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । इंदु मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट के जज की शपथ ले ली है, इंदु को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने पद की शपथ दिलाई। सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ लेते ही इंदु मल्होत्रा ने इतिहास रच दिया, वो भारतीय इतिहास की ऐसी पहली महिला बन गई हैं जो वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट की जज बनी हैं। इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट के 68 साल के इतिहास में जज बनने वाली सातवीं महिला जज हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के 25 जजों में महिला जजों की संख्या दो हो गई है।
इंदु को हां, जोसफ को "ना"
इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश 11 जनवरी को सरकार को भेजी गई थी. लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों के कॉलेजियम की सिफारिश को तीन महीने तक लंबित रखा और उसके बाद इंदु मल्होत्रा के जज बनाने की अधिसूचना जारी करते हुए जज केएम जोसफ के नाम की सिफारिश को कॉलेजियम को वापस भेज दिया था।
सरकार के फैसले पर उठे सवाल
हाईकोर्ट जज केएम जोसफ के नाम को कॉलेजियम को वापस भेजने के सरकार के फैसले पर सवाल उठे थे। इतना ही नहीं कई वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि सरकार ने जिस तरीके से जज जोसेफ के नाम को वापस भेजा है वो गैरकानूनी है और इसलिए इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर रोक लगनी चाहिए।
रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
वकीलों की तरफ से इंदु मल्होत्रा के जज के रूप में नियुक्ति के वारंट पर रोक लगाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया था। मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने कहा था कि ये कैसी जनहित याचिका है? अगर सरकार ने किसी सिफारिश को वापस भेजा है तो ये उसके अधिकार क्षेत्र में है। किसी जज को शपथ लेने से रोक देने की मांग अविश्वसनीय और अकल्पनीय है, हम हैरान हैं। कई बार एक हाईकोर्ट के लिए 30 नाम की सिफारिश की जाती है, जिनमें से सरकार 22 को जज बनाती है और 8 नाम कॉलेजियम के पास दोबारा विचार के लिए भेज देती है तो क्या 8 लोगों के चलते 22 लोगों की नियुक्ति रोक देनी चाहिए ?
Created On :   27 April 2018 9:15 AM IST