खुफिया रिपोर्ट में खुलासा : दिल्ली हिंसा की आग में सबसे पहले क्यों जला जामिया?

Intelligence report revealed: Why Jamia was the first to burn in the fire of Delhi violence?
खुफिया रिपोर्ट में खुलासा : दिल्ली हिंसा की आग में सबसे पहले क्यों जला जामिया?
खुफिया रिपोर्ट में खुलासा : दिल्ली हिंसा की आग में सबसे पहले क्यों जला जामिया?

नई दिल्ली, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आग की तपिश जैसे-जैसे ठंडी हो रही है, वैसे-वैसे जांच और हिंदुस्तानी खुफिया एजेंसियां अपने काम में तेजी से जुट गई हैं। देश की खुफिया एजेंसियों की मदद से दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल और स्पेशल ब्रांच सबसे पहले वह कारण जानने में जुटीं थीं, जिनसे साफ हो सके कि किन लोगों ने और क्यों सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली के जामिया को ही हिंसा की आग में झोंका? इसका जबाब अब तक हुई पड़ताल में एजेंसियों को हासिल हो चुका है।

खुफिया और जांच एजेंसियों की शुरुआती दौर की सामने आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक, भले ही यूपी की राजधानी लखनऊ का नदवा इलाका इन हिंसा में सबसे ज्यादा बर्बाद क्यों न हुआ हो? क्यों न यूपी के पश्चिमी जिलों में सबसे ज्यादा मारकाट, फसाद हुआ हो? यूपी पुलिस ने सबसे पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दो कारिंदों को क्यों न सबसे पहले गिरफ्तार किया हो? इन तमाम संवेदनशील हालातों में भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच इस बात का ध्यान रख रही हैं कि, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का राष्ट्रीय मुख्यालय तो दिल्ली के शाहीन बाग, ओखला, जामिया, बटला हाउस इलाकों में से ही किसी न किसी में मौजूद है। जामिया विवि से इस मुख्यालय की दूरी भी कोई ज्यादा नहीं है।

जांच से जुड़ी एक एजेंसी के आला अफसर ने अपना नाम फिलहाल न खोलने की शर्त पर बुधवार को आईएएनएस से कहा, शाहीन बाग इलाके में ही इस फसाद के बाद से अभी तक सबसे लंबा धरना-प्रदर्शन लगातार जारी है। आखिर क्यों? यूं ही नहीं। जरूर कोई न कोई इसके पीछे खास वजह है। इस वजह का खुलासा उचित वक्त आने पर कर दिया जाएगा। अभी कोई खुलासा करना जल्दबाजी होगी और देश के दुश्मनों को बचने का रास्ता मिल जाएगा।

इतना ही नहीं दिल्ली के जामिया नगर कांड और उसके बाद यूपी (लखनऊ) के नदवा में मची मारकाट के बाद, जब से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम खुलकर सामने आया है, उसके तमाम विश्वासपात्रों को यूपी पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। कई को गिरफ्तार किया गया है। तब से इस फ्रंट के हजारों कर्ता-धर्ता भूमिगत हो गए हैं। इन हालिया खुफिया रिपोर्ट्स के हासिल होने के बाद से हिंदुस्तानी हुक्मरानों के भी कान खड़े हो गए हैं।

पुख्ता खुफिया रिपोर्ट्स मिलने के बाद हुकूमत अब सिर्फ उचित मौके की तलाश में है, ताकि नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में देश को हिंसा की आग में झोंकने वालों पर कानून का शिकंजा कसा जा सके। हिंदुस्तानी खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर पड़ताल में दिन-रात जुटी, दिल्ली पुलिस की क्राइम-ब्रांच ने भी अपने रडार पर दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जामिया नगर, ओखला, शाहीन बाग, बाटला हाउस को ले रखा है। हालांकि इस विषय पर दिल्ली पुलिस का कोई भी आला-अफसर खुलकर बोलने को हाल-फिलहाल कतई राजी नहीं है।

खुफिया एजेंसी सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी को सबसे पहले आग में झोंकने की एक अजीब-ओ-गरीब वजह भी सामने आई है। यह वजह है दिल्ली में हुई हिंसा की खबरों को मीडिया के जरिये पलक झपकते ही देश दुनिया में पहुंचा दिया जाना। देश भर में दिल्ली हिंसा की खबरें फैलने से देश-द्रोहियों को आगे कहीं कुछ करने की जरूरत बाकी नहीं बचती है। देश के कोने-कोने में दिल्ली की देखा-देखी खुद-ब-खुद ही हिंसा फैल जाने की उम्मीद उपद्रवियों को रहती है।

दिल्ली के जामिया इलाके को 15 दिसंबर को सबसे पहले आग में झोंके जाने जैसी बातें खुफिया रिपोर्ट्स और जांच एजेंसियों के सामने निकल कर आ चुकी हैं। इन खुफिया रिपोर्ट्स से सरकार को मालूम हुआ है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) कैसे बिना ज्यादा मेहनत-मशक्कत किए ही देश को तोड़ने और राष्ट्रीय संपत्ति को नेस्तनाबूद करने का ताना-बाना बुनती है? उसके इस काम में सबसे मजबूत कंधे के रूप में काम आते हैं कुछ गुमराह युवा और विद्यार्थी।

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के कुछ आला-अफसरों की बात में अगर दम है तो उसके मुताबिक, 15 दिसंबर 2019 को जामिया नगर इलाके में फसाद शुरू होने से एक-दो दिन पहले ही इस इलाके में करीब 150 से ज्यादा युवा 10-10 और 20-20 की टोलियों में दिल्ली राज्य की सीमा रेखा के बाहर से आकर छिप चुके थे। इनमें से अधिकांश की औसत आयु 16 से 30 के बीच रही होगी। अधिकांश देखने में विद्यार्थी से लग रहे थे। तब तक दिल्ली को हिंसा की आग में झोंकने की किसी को कानो कान खबर नहीं थी। दो दिन बाद ही यानी 15 दिसंबर को दोपहर के वक्त खूनी हिंसा शुरू हो गयी। उस आगजनी-पथराव में भी इसी उम्र-हुलिये के अधिकांश नौजवान पथराव करते दिखाई दे रहे हैं। जांच एजेंसियों की इस बात को हिंसा वाले दिन के सीसीटीवी फुटेज भी दम देते हैं।

15 दिसंबर को सबसे पहले जामिया ही क्यों जला? जलाने वाले कौन हैं? यह सब पता लगने के बाद भी आखिर दंगाईयों/संदिग्धों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही अभी तक अमल में क्यों नहीं लाई जा सकी? पूछे जाने पर जांच एजेंसी में शामिल एक आला अफसर ने आईएएनएस से कहा, सबूतों की तलाश थी, सबूत मिल चुके हैं। अब सिर्फ सही समय का इंतजार है।

दूसरी ओर सूत्र बताते हैं कि यूपी पुलिस द्वारा संगठन पर कसे गए शिकंजे से सतर्क पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भी कानूनी झंझटों से बचने की जुगत तलाशनी शुरू कर दी है। देश भर में फैले कार्यालयों में मौजूद कार्यकर्ताओं को सतर्क कर दिया गया है। जो मुख्य कर्ताधर्ता हैं उन्होंने हाल फिलहाल कुछ वक्त के लिए अपने अड्डों को छोड़ दिया है।

 

Created On :   25 Dec 2019 5:00 PM GMT

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