केवल 700 किलोमीटर और की है बात, दिन में छिपकर रात में चलते हैं हम

It is only 700 kilometers, and we go covertly during the day and at night
केवल 700 किलोमीटर और की है बात, दिन में छिपकर रात में चलते हैं हम
केवल 700 किलोमीटर और की है बात, दिन में छिपकर रात में चलते हैं हम

नई दिल्ली, 14 मई (आईएएनएस)। देशभर के प्रवासी मजूदर औद्योगिक शहरों से निकलकर वापस अपने दूर-दराज के गांवों तक वापस पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। इस क्रम में दिन के दौरान छिपना और हर रात 20 किलोमिटर का पैदाल सफर तय करना कपड़ा कारखाने में काम करने वाले 23 वर्षीय शिव बाबू की दिनचर्या बन गई है।

हरियाणा के पानीपत शहर में तौलिए का निर्माण करने वाली एक कपड़ा फैक्ट्री में कार्यरत रहा एक कुशल कामगार बाबू घर वापसी के लिए एक छोटे समूह में यात्रा कर रहा है। एक ही गांव के निवासी उसके साथ भी उसके साथ यात्रा कर रहे हैं।

बाबू ने आईएएनएस से कहा, हम प्रतिदिन सुबह तड़के 3 बजे से दोपहर एक बजे तक चलते हैं और फिर दोपहर 3 बजे से देर रात 1 बजे तक यात्रा प्रारंभ करते हैं। आराम का समय नहीं है। हमारे पास बहुत कम धन बचा है और परिवार तक वापस पहुंचने का कोई मार्ग नहीं दिख रहा है।

18 से 25 वर्ष के आयु वर्ग का उनका समूह यहां दक्षिण दिल्ली के एक निर्जन बाजार स्थान पर आराम कर रहा था, इस बीच बाबू ने आगे कहा, कई बार तो पकड़े जाने के डर से हमें छिपे रहना पड़ता है और पूरा दिन बर्बाद हो जाता है।

उसने कहा, हम समझते हैं कि महामारी की रोकथाम के मद्देनजर लॉकडाउन लागू किया गया है, लेकिन पानीपत में हमारी वर्तमान स्थिति अस्थिर हो गई है। वहां के लोग बेहद मददगार हैं और हमें समझते भी हैं, लेकिन किसी पर भार बनने से अच्छा है आगे बढ़ चलना।

उनके अनुसार, अपने गांवों व घर वापसी के लिए निकल पड़े प्रवासी श्रमिक व्यापक रूप से दिन के समय छिप रहे हैं और केवल रात में पैदल चलने की रणनीति अपना रहे हैं।

बाबू ने कहा, कुछ प्रवासी श्रमिक राजमार्गों का अनुसरण कर रहे हैं। अन्य लोग रेलवे लाइनों के बगल में चल रहे हैं, लेकिन हमने बीच की सड़कों पर जाने का फैसला किया है क्योंकि यहां गलियों में पुलिस की संख्या कम होती है।

बाबू के छोटे से समूह के अन्य यात्री 22 साल के मोती ने आईएएनएस से कहा, तीन दिनों में हमने 150 किलोमिटर से अधिक का सफर तय कर लिया है। हमें कितना चलना है इसको हमने जोड़ लिया है। हमें घर पहुंचने के लिए आगे केवल 700 से 1000 किलोमीटर और चलना है। हम जल्द ही एक हफ्ते के समय में ऐसा कर पाएंगे।

यह पूछे जाने पर कि अपने गांव तक पहुंचने के लिए क्या सही दिशा में जा रहे हैं ? मोती ने कहा, कई अच्छे लोग हैं, जिन्होंने हमें शॉर्टकट बताकर हमारा मार्गदर्शन किया। हम अपराधी नहीं हैं, हमें बस घर जाकर अपने परिवारों को देखना है। हममें से किसी को भी बुखार या फ्लू जैसे लक्षण नहीं हैं।

उसने आगे कहा, हमें सभी चीजों का ध्यान रख रहें है और मास्क पहनने के साथ ही हाथों को बार-बार धोते हैं। साथ ही रास्ते में मिले अन्य प्रवासी मजदूर, जो अपने घर लौट रहे थे, उनसे भी हमने कोई बातचीत नहीं की।

Created On :   14 May 2020 8:00 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story