डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आए दिन हो रही आतंकी गतिविधियों के बीच कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के आकड़े सामने आए हैं। जम्मू-कश्मीर में करीब 210 आंतकी सक्रिय हैं जिनमें साउथ कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की तादाद ज्यादा है। ये सभी आतंकी सेना के निशाने पर भी हैं। सेना के एक अधिकारी ने बताया, आतंकियों का आंकड़ा कम नहीं है, लेकिन इस वक्त घाटी में जितने भी जवान तैनात हैं, वो आतंकवादियों से निपटने के लिए काफी हैं। हालांकि प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद से ही सेना ने टॉप लिस्ट में शामिल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक कश्मीर में करीब 210 आतंकी एक्टिव हैं। आतंकियों की ये संख्या कम नहीं है। आतंकियों का आंकड़ा एक वक्त में 250 तक भी पहुंच गया था। अभी सक्रिय आतंकियों में 65 प्रतिशत लोकल टेररिस्ट हैं। 35 प्रतिशत पाकिस्तानी आतंकी हैं। इनमें बड़ी संख्या हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों की है। घाटी में सबसे ज्यादा हिजुबल के आतंकी सक्रिय हैं, जो करीब 62 से 64 प्रतिशत है। लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद के आंतकी करीब 35 फीसदी हैं। तादाद में एजीयू और अलबदर के आतंकी बहुत कम हैं।
स्थानीय आतंकियों की संख्या में हुआ इजाफा
आकड़ों के मुताबिक पहले स्थानीय आतंकियों और विदेशी आतंकियों का अनुपात 60 और 40 का था। हालांकि पिछले कुछ समय में पाकिस्तान से आ रहे आतंकियों की संख्या में कमी आई है। सुरक्षाबलों ने पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की कोशिश के दौरान ही आतंकियों पर लगाम लगाई है, लेकिन अब कश्मीर के स्थानीय लोग आतंकवाद की राह पकड़ रहे हैं। जिसकी वजह से जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकियों में लोकल आतंकियों की संख्या में 5 फीसदी का इजाफा हुआ है।
पिछले साल तक 128 स्थानीय युवकों ने आंतकवाद को अपना पेशा बनाया था। इस साल 55 लोग आतंकी संगठन में शामिल हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि जब किसी लोकल आतंकी की मौत होती है, तो उसके अंतिम संस्कार में काफी लोग शामिल होते हैं। इसी दौरान काफी लोग आतंक की राह को चुनते हैं। इसलिए ये प्रयास किया जाता है कि मारे गए स्थानीय आतंकी के अंतिम संस्कार में कम-से-कम लोग शामिल हों। रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल कश्मीर में 273 आंतकी ढेर हुए थे। इस साल अब तक 71 आतंकी मारे जा चुके हैं।
गौरतलब है कि हाल ही के दिनों में श्रीनगर में आतंकी घटनाएं ज्यादा होने लगी हैं। इससे पहले श्रीनगर में आतंकी वारदातें नहीं होती थीं। आतंकी दूसरी जगह वारदातों को अंजाम देकर श्रीनगर को आराम करने और छिपने की जगह के तौर पर इस्तेमाल करते थे। पिछले कुछ समय से श्रीनगर को भी वो निशाना बनाने लगे हैं। वहीं श्रीनगर, टूरिस्ट स्पॉट है और भीड़ ज्यादा होने की वजह से सेना यहां पर जल्द सर्च ऑपरेशन भी नहीं चलाती है। हालांकि अब आतंकी गतिविधियां बढ़ने के बाद श्रीनगर के लिए रणनीति बदलने की तैयारी है।
Created On :   21 Jun 2018 2:35 PM IST