अपमानजनक लेख लिखने वाले पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

Journalist who wrote derogatory articles did not get relief from Supreme Court
अपमानजनक लेख लिखने वाले पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
उदार सजा अपमानजनक लेख लिखने वाले पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
हाईलाइट
  • 2008 का मामला संपादक शेट्टी ने वकील रत्नाराज के खिलाफ लिखे थे अनेक लेख

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उच्चत्तम न्यायालय ने एक वकील के खिलाफ अपमानजनक लेख लिखने वाले और एक माह की सजा काट रहे कन्नड़ साप्ताहिक के संपादक को कोई राहत देने से मना करते हुए कहा है कि जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल पत्रकार ने किया है उसे देखते हुए यह सजा काफी उदार है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा उसे भुगतने दो, यह किस तरह की पत्रकारिता है? हमें वकीलों को भी बचाना है।

याचिकाकर्ता और कन्नड़ साप्ताहिकतुंगा वारथी के संपादक, प्रकाशक तथा मुद्रक डी एस विश्वनाथ शेट्टी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एम नुली ने बताया कि उच्च न्यायालय ने इस केस से जुड़े तथ्यों को सही प्रकार से नहीं देखा है। लेकिन शीर्ष न्यायालय में इसमें इस्तेमाल की गई भाषा पर कड़ा रूख अपनाते हुए कहा आप इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं और दावा करते हैं कि आप पत्रकार हैं।

गौरतलब है कि इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका पर अंशत: सुनवाई की थी और उसकी एक साल की सजा को कम करते हुए एक माह कर दिया था। इसी मामले को चुनौती देते हुए उच्चत्तम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए कहा एक माह की जेल पत्रकार के लिए बहुत ही उदार सजा है।

यह मामला 2008 का है जब विश्वनाथ शेट्टी ने इस वकील टी एन रत्नाराज के खिलाफ अनेक लेख लिखे थे और उसे गुंडा तक कह दिया था। शेट्टी ने आरोप लगाया था कि वकील अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को दी गई जमीन की बिक्री डीड तैयार करता था और वह फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। इस मामले में निचली अदालत ने उसे एक वर्ष कैद की सजा सुनाई थी।

 

(आईएएनएस)

Created On :   17 Dec 2021 3:30 PM GMT

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