कर्नाटक के 9 विधायकों ने अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण ली

Karnataka MLAs seek refuge in Supreme Court against disqualification
कर्नाटक के 9 विधायकों ने अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण ली
कर्नाटक के 9 विधायकों ने अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण ली
हाईलाइट
  • इससे पहले विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अपने इस्तीफे को स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था
  • कर्नाटक के नौ विधायकों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उन्हें सदन से अयोग्य करार देने के फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की गुहार लगाई
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। कर्नाटक के नौ विधायकों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उन्हें सदन से अयोग्य करार देने के फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की गुहार लगाई।

इससे पहले विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अपने इस्तीफे को स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों के इस्तीफे पर संविधान के अनुसार फैसला लेने की पूरी छूट दी थी, लेकिन कहा था कि विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

इन नौ विधायकों में ए.एच.विश्वनाथ, के.सी.नारायणगौड़ा, ए.के.गोपालैया, प्रताप गौड़ा व अन्य शामिल हैं। इन विधायकों ने कहा कि उन्हें पद से इस्तीफा देने का अधिकार है और उन्होंने कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के 28 जुलाई के आदेश को शीर्ष अदालत से रद्द करने की मांग की।

28 जुलाई को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के.आर.रमेश ने 14 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया था और उनके द्वारा दिए गए इस्तीफों को खारिज कर दिया था।

तत्कालीन मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी द्वारा 23 जुलाई को सदन में विश्वास मत प्रस्ताव पेश करने के दौरान 14 विधायक सदन से गैरहाजिर रहे थे।

याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा, (तब के) विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई इस तरह से याचिकाकर्ताओं के मूल अधिकारों का हनन है, जिसकी संविधान के अनुच्छेद 19 व 21 में गारंटी दी गई है। (पूर्व) विधानसभा अध्यक्ष का याचिकाकर्ताओं को संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य करार देना व याचिकाकर्ताओं द्वारा दिए गए इस्तीफों को खारिज करना पूरी तरह से अवैध, तर्कहीन और दुर्भावनापूर्ण है।

--आईएएनएस

Created On :   1 Aug 2019 9:30 PM IST

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