10 बातों से समझिए, CAG की रिपोर्ट में राफेल को लेकर क्या है खास ...
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- 2016 में 36 लड़ाकू विमान का किया था सौदा
- यूपीए सरकार की तुलना में सौदा सस्ता
- रिपोर्ट में कीमत का जिक्र नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से राफेल डील पर जारी हंगामे के बीच संसद में बुधवार को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई, हालांकि रिपोर्ट में प्लेन की कीमत का जिक्र नहीं किया गया है। बता दें कि मोदी सरकार ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा 2016 में किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीए सरकार की तुलना में सौदा काफी सस्ता है। आइए कैग रिपोर्ट की 10 खास बातों के बारे में जानते हैं।
10 खास बातें
1. रिपोर्ट के मुताबिक विक्रेता ने 2015 में राफेल के इंजन की कीमत को अलग से जोड़ा था।
2. खरीद की प्रक्रिया के दौरान कीमतों के आंकलन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिसका कारण ASQRs को जल्दी-जल्दी बदला जाना था।
3. भारतीय वायु सेना ने ASQRs (एयर स्टाफ क्ववांटिटीव रिक्वायरमेंट) को सही तरह से नहीं बताया, जिसके कारण कोई भी विक्रेता नियमों पर खरा नहीं उतरा।
4. राफेल विमानों की खरीद में देरी का एक बड़ा कारण यह भी था।
5. 126 लड़ाकू विमानों की तुलना में 18 राफेल विमानों का डिलीविरी शेड्यूल बेहतर था।
6. कैग ने रक्षा मंत्रालय के उत तर्क को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि 2007 के प्रस्ताव की तुलना में 2016 में की गई 36 विमानों कीक डील 9 प्रतिशत कम थी।
7. रिपोर्ट में 2007 और 2016 के अनुबंध को एक तालिका में दर्शाया गया है, जिसके मुताबिक पहले की तुलना में यह सस्ता है।
8. मार्च 2016 में रक्षा मंत्रालय ने 126 राफेल की खरीदी को रद्द करने की अनुशंसा की थी, टीम ने कहा था कि दसॉ एविएशन ने सबसे ज्यादा कम बोली नहीं लगाई।
9. रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस और भारत के बीच हुई राफेल डील पहले की तुलना में 2.86 फीसदी सस्ती है।
10. डील में "मेक इन इंडिया" अभियान को समर्तन देने के लिए डील को ऑफसेट प्राप्त करना भी शामिल था।
Created On :   13 Feb 2019 8:31 AM GMT