ध्यान में रखी जातीं ये खास बातें तो नहीं होता दिल दहलाने वाला मोरबी पुल हादसा, इन कमियों से गिरा महाराजाओं के जमाने का पुल!

Know the five biggest reasons for the fall of Morbi bridge
ध्यान में रखी जातीं ये खास बातें तो नहीं होता दिल दहलाने वाला मोरबी पुल हादसा, इन कमियों से गिरा महाराजाओं के जमाने का पुल!
गुजरात मोरबी ब्रिज हादसा ध्यान में रखी जातीं ये खास बातें तो नहीं होता दिल दहलाने वाला मोरबी पुल हादसा, इन कमियों से गिरा महाराजाओं के जमाने का पुल!

डिजिटल डेस्क, मोरबी। गुजरात के मोरबी में रविवार को केबल ब्रिज हादसे की खबर आने के बाद से देशभर में सन्नाटा सा पसर गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिज हादसे पर शोक व्यक्त किया। कल देर रात तक बचाव कार्य के लिए भारतीय सेना व एनडीआरएफ टीम भी पहुंच गई। नदी में डूबे लोगों का सर्च ऑपरेशन जारी है, अभी तक 100 से ज्यादा शव बरामद किए जा चुके हैं। हालांकि, इन सभी के बीच लोगों के मन में बस एक ही सवाल उठ रहा है कि इतने बड़े हादसे का गुनहगार कौन है? पुल जो सात महीने से बंद था और पांच दिन पहले ही जनता के लिए खोला गया था फिर हादसे का शिकार कैसे हो गया। तो आइए जानते हैं, वो पांच कारण जिनकी वजह से मोरबी पुल बना नरसंहार का कारण।

वर्षों पुराना था केबल पुल

स्थानीय लोगों की माने तो यह पुल 140 साल पुराना था। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान इस पुल का निर्माण किया गया था। यह पुल राजा महाराजाओं के समय ऋषिकेश के राम-झूला और लक्ष्मण झूला पुल की तरह झूलता सा नजर आता था। इस वजह से इसे झूलता हुआ पुल भी कहा जाता है। पांच दिन पहले ही इस पुल को गुजराती नवर्ष के मौके पर रिनोवेशन के बाद जनता के लिए खोला गया था, सात महीने से यह पुल बंद था। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि मरम्मत के बाद पुल कैसे गिर गया? पुल का मेंटेनेंस करने वाली कंपनी इतनी बड़ी लापरवाही क्यों की? ऐसे तमाम सवाल इस घटना को लेकर खड़े हो रहे हैं।

बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल को खोला गया

बताया जा रहा है कि फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना ही ओरेवा कंपनी ने ब्रिज को जनता के लिए शुरू कर दिया गया था। ब्रिज घूमने आए लोगों को 17 रूपए का टिकट लेना पड़ता था, जबकि बच्चों को 12 रूपए का टिकट अनिवार्य था। नगर पालिका चीफ ऑफिसर संदीप सिंह के मुताबिक, कंपनी ने रेनोवेशन खत्म किया है या नहीं। इसकी जानकारी भी नगरपालिका को नहीं दी गई। साथ ही नगरपालिका से फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं लिया गया था। ऐसे में ये साफ है कि पुल की रखरखाव करने वाली कंपनी की लापरवाही के कारण गुजरात में दर्दनाक हादसा हुआ।  

प्रशासन की लापरवाही 

सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर ब्रिज बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के चालू कर दिया गया था तो प्रशासन हाथ पर हाथ रखकर क्यों बैठा रहा? क्या प्रशासन के पास इस संबंध में कोई जानकारी नहीं थी। अगर कंपनी के पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था, प्रशासन ने कार्रवाई क्यों नहीं की। जबकि पुल चालू हुए पांच दिन हो गए थे। ऐसे में प्रशासन की भी सबसे बड़ी लापरवाही सामने आ रही है।

क्षमता से अधिक कैसे पहुंचे लोग?

माना जा रहा है कि ब्रिज पर काफी भीड़ जमा हो गई थी। जिसकी वजह से ये हादसा हुआ है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि 100 की क्षमता वाले केबल पुल पर 300-400 लोग कैसे पहुंच गए थे। पुल की निगरानी करने वाली कंपनी ने इतने लोगों को पुल पर चढ़ने क्यों दिया? सवाल ये भी है कि क्षमता से अधिक लोगों के लिए कंपनी टिकट क्यों जारी करती गई। ऐसे तमाम कारण सामने निकलकर आ रहे हैं, जिनकी वजह से केबल पुल हादसे का शिकार हुआ और सैकड़ों लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा।

भीड़ को काबू करने व्यवस्था की कमी

मोरबी पुल पर भीड़ बढ़ती गई लेकिन उसे संभालने के लिए कोई इंतजाम नहीं था। प्रशासन व ब्रिज मैनेजमेंट करने वाली कंपनी लोगों से टिकट तो वसूल रही थी, लेकिन इंतजाम के नाम पर फिसड्डी साबित हुई, जो सामने दिख भी रहा है। खबरों के मुताबिक, हादसे के पहले कुछ लड़के झूला झूल रहे थे, तभी अहमदाबाद के रहने वाले एक युवक ने ब्रिज मैनेजमेंट से इसकी शिकायत भी की। लेकिन कंपनी मैनेजमेंट ने यह बात कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मेरे पास भीड़ को काबू करने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। अगर समय रहते पुल प्रबंधन इस बात को गंभीरता से लेता तो हो सकता था कि इतना बड़ा हादसा होने से बच जाता।


 

Created On :   31 Oct 2022 10:09 AM GMT

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