लॉकडाउन : लाखों एफआईआर में सैकड़ों की ही गिरफ्तारी, अब वो भी नहीं होगी क्योंकि...

Lockdown: Hundreds of arrests in lakhs of FIRs, now that too wont happen because .. (IANS investigation)
लॉकडाउन : लाखों एफआईआर में सैकड़ों की ही गिरफ्तारी, अब वो भी नहीं होगी क्योंकि...
लॉकडाउन : लाखों एफआईआर में सैकड़ों की ही गिरफ्तारी, अब वो भी नहीं होगी क्योंकि...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)। दिल्ली में लॉकडाउन के पहले चरण से लेकर अब तक लाखों लोगों के खिलाफ कानूनी कदम उठाकर मुकदमे दर्ज किये गये। जिन धाराओं में मुकदमे (एफआईआर) दर्ज किये गये उनमें प्रमुख थीं, आईपीसी की धारा-188, दिल्ली पुलिस अधिनियम की धारा 65-66 और महामारी अधिनियम की धारा-3। लॉकडॉउन के पहले चरण में इन धाराओं में 24 घंटे के अंदर मुकदमे दर्ज होने की संख्या 3 हजार से 7-8 हजार तक पहुंच गयी थी। जोकि अब 18 पर आ चुकी है।

अब जब लॉकडाउन-4 शुरू हो चुका है। आज की तारीख के आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो अब, इन धाराओं में मुकदमे दर्ज होने की संख्या नगण्य रह गयी है। उदाहरण के लिए दिल्ली पुलिस मुख्यालय से जारी 24 मई (24 घंटे के आंकड़े) के आंकड़ों पर नजर डाली जाये। देखने पर पता चलता है कि, आईपीसी की धारा 188 के तहत महज सिर्फ 18 मुकदमे ही दर्ज किये गये हैं। जबकि लॉकडाउन -1 में 24 घंटे के अंदर यही संख्या रोजाना 6-7 हजार या फिर उससे कुछ कम ज्यादा रही (धारा-188 के तहत)थी।

सवाल यह पैदा होता है कि, लॉकडाउन तो मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में ही लागू हो गया थो, जोकि अब तक बदस्तूर जारी है। फिर आखिर मुकदमों की इस संख्या में यह हैरतंगेज कमी क्यों और कैसे? पूछने पर दिल्ली के पश्चिमी परिक्षेत्र की संयुक्त पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह ने कहा, आईपीसी की धारा-188 के मुकदमों में कमी तो आनी ही थी। इसकी दो वजह हैं। पहली वजह जब लॉकडाउन-1 शुरू हुआ तो, अधिकांश लोगों को नहीं पता था कि, लॉकडाउन की अहमियत क्या है? लोग नहीं जानते थे कि लॉकडाउन के उल्लंघन पर सजा और मुकदमे का भी कोई प्राविधान है। लिहाजा जाने-अनजाने लोग लॉकडाउन तोड़ने की कोशिश में पकड़े जाते रहे। पुलिस धारा 188 के तहत केस दर्ज करती रही।

शालिनी सिंह के मुताबिक, ज्यों-ज्यों लॉकडाउन के दौर आगे बढ़ते रहे। लॉकडाउन के दौरा आगे बढ़ने के साथ ही लोग उसकी अहमियत समझते गये। लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में किसी एक शख्स पर मुकदमा दर्ज होता ता। वो उसका जिक्र 4-6 और से जाकर करता होगा। लिहाजा जैसे-जैसे लोगों को लॉकडाउन तोड़ने पर कानून और सजा का ज्ञान होता गया। मुकदमों में कमी आती गयी। दूसरी वजह लॉकडाउन-4 में (वर्तमान) सरकार ने अपने आप ही कई छूट दे दी हैं। अब सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक आने जाने से पाबंदी हटा ली गयी है। लोग भी सोशल-डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन को लेकर सतर्क हो चुके हैं। इसलिए अब मुकदमों की संख्या भी नीचे गिरना तय था, सो गिर रही है।

कमोबेश यही आलम दिल्ली के बाकी इलाकों का भी है। शुरूआत में जिस बेइंतहाई तादाद में लॉकडाउन उल्लंघन के केस दर्ज हो रहे थे। उस दौरान लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा था। उस सबमें आज बेहद कमी आ चुकी है। उदाहरण के लिए मध्य जिले के ही आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाये तो, यहां धारा 188 के तहत 23 मई तक (पूरे लॉकडाउन के दौरान) 1060 मुकदमे दर्ज किये गये थे। जबकि 23 मई 2020 यानि 24 घंटे के अंदर (एक दिन में) धारा 188 के तहत सिर्फ सात मामले ही दर्ज हुए।

इसी तरह मध्य दिल्ली जिले में 23 मई तक 65 दिल्ली पुलिस अधिनियम के तहत 34130 मुकदमे दर्ज किये गये, मगर 23 मई यानि 24 घंटे में यहां 65 दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत सिर्फ 114 मुकदमे ही दर्ज हुए हैं। जबकि इस जिले में 25 मई 2020 तक किसी भी मकान मालिक के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। इस बारे में बात करने पर पटियाला हाउस कोर्ट के वरिष्ठ वकील शैलेंद्र बताते हैं, ह्लदरअसल कोरोना महामारी से पहले तक आईपीसी की धारा 188 का इस्तेमाल पुलिस मकान मालिकों के खिलाफ करती थी। उन मकान मालिकों के खिलाफ जो किरायेदारों का सत्यापन नहीं कराते थे। लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा इस्तेमाल 188 का ही हुआ है। दरअसल धारा-188, सरकार द्वारा लागू किये गये किसी भी विशेष आदेश जैसे लॉकडाउन इत्यादि को मनवाने के लिए इन दिनों पुलिस ने सबसे ज्यादा इस्तेमाल की है। इस धारा में एक महीने की सजा भी हो सकती है। और इसी धारा के दूसरे हिस्से के मुताबिक सजा 6 महीने तक की भी संभव है। यह अदालत को देखना है कि आरोपी पर आरोप किस स्तर तक के गंभीर हैं।

जब लाखों की संख्या में धारा 188 के तहत मुकदमे दर्ज हुए तो फिर लोगों की गिरफ्तारी उसी अनुपात में क्यों नहीं? पूछने पर दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत के वरिष्ठ वकील शैलेंद्र ने कहा, दरअसल यह जमानती धारा है। बाद में मजिस्ट्रेट कोर्ट से नोटिस होने पर आरोपी पेश होता है। बाकायदा चार्जशीट दाखिल होती है। आरोप अगर सिद्ध हो गये, तो 6 महीने की सजा। या फिर अदालत जैसा चाहे कर सकती है।

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 24 मई 2020 को (24 घंटे के अंदर) 65 डीपी एक्ट में हिरासत में लेकर छोड़े गये लोगों की संख्या 1364 रही। जबकि इस मद में भी लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में संख्या 3 से 4 हजार तक पहुँचती थी। मॉस्क न पहनने वालों के खिलाफ 24 घंटे में जहां अब सिर्फ 4 मामले ही दर्ज हुए हैं। वहीं यह संख्या पहले, दूसरे और लॉकडाउन-3 तक 200 से भी ऊपर एक दिन में पहुंच रही थी।

उल्लेखनीय है दो दिन पहले ही दिल्ली पुलिस आयुक्त एस।एन। श्रीवास्तव ने भी महकमे के अफसर कर्मचारियों को इस बारे में नये दिशा निर्देश जारी कर दिये। पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि, कुछ दिन के लिए 65 दिल्ली पुलिस एक्ट को कम से कम या फिर न ही इस्तेमाल किया जाये। लॉकडाउन से जुड़े अधिकांश मामलों में जहां तक संभव हो सके आरोपी की गिरफ्तारी से पुलिस बचे। ताकि पुलिस के जवानों अफसरों में फैल रहे संक्रमण की गति को धीमा या फिर नियंत्रित किया जा सके।

पुलिस आयुक्त द्वारा जारी नये दिशा निदेशरें में कहा गया है कि, अगर 66 दिल्ली पुलिस एक्ट में वाहन को जब्त करना ही पड़ जाये तो, उसे भी पूरी तरह पहले सेनेटाइज करने के बाद ही थाने-चौकी के माल खाने में जमा किया जाये।

 

Created On :   25 May 2020 6:00 AM GMT

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