लंदन हाईकोर्ट ने सिखों को जातीय अल्पसंख्यक का दर्जा देने से किया इनकार

London High Court refuses to give ethnic minority status to Sikhs
लंदन हाईकोर्ट ने सिखों को जातीय अल्पसंख्यक का दर्जा देने से किया इनकार
लंदन हाईकोर्ट ने सिखों को जातीय अल्पसंख्यक का दर्जा देने से किया इनकार
हाईलाइट
  • लंदन हाईकोर्ट ने सिखों को जातीय अल्पसंख्यक का दर्जा देने से किया इनकार

लंदन, 7 नवंबर (आईएएनएस)। ब्रिटेन में सिखों को काफी लंबे समय से चली आ रही लड़ाई में हार मिली है। लंदन हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि साल 2021 की ब्रिटिश जनगणना में सिखों को एक जातीय समूह के रूप में दर्ज नहीं किया जाएगा।

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति चौधरी ने सिख फेडरेशन यूके (एसएफयूके) के अध्यक्ष अमरीक सिंह गिल द्वारा लाई गई तीसरी न्यायिक समीक्षा के दावे को खारिज कर दिया, जिसमें एक कोर्ट के ऑर्डर का हवाला देते हुए जनगणना पर रोक लगाने की मांग की थी।

फेडरेशन ने दावा किया कि एक दशक में एक बार की जाने वाली जनगणना में सिख एथनिक टिक बॉक्स विकल्प न होने के चलते ब्रिटेन में सिखों की आबादी सही से नहीं आंकी जाती है।

गिल ने तर्क दिया कि यह जनगणना सही नहीं है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ओएनएस) द्वारा की गई सिफारिशों पर आधारित रही है, जिसमें मूल्यांकन की प्रक्रिया गैरकानूनी रही है।

इस दलील को खारिज करते हुए जस्टिस चौधरी ने कहा कि अगर उन्हें कानून में कोई त्रुटि मिलती तो इसकी कहीं अधिक संभावना है कि उन्होंने जनगणना के आदेश को रद्द करने से इनकार किया होगा, क्योंकि किसी अच्छे प्रशासन के लिए यह एक बहुत बड़े नुकसान की बात है।

न्यायमूर्ति चौधरी ने मार्च 2009 के ओएनएस के एक कागजात का हवाला देते हुए कहा कि अगर जातीय खंड में भारतीय और सिख दोनों टिक-बॉक्स होंगे, तो सिख भ्रमित होंगे कि किस पर टिक करना है या फिर वे दोनों पर ही टिक करेंगे या फिर कोई सिख वाले बॉक्स पर टिक करेगा, तो कोई भारतीय वाले बॉक्स पर करेगा। ऐसे में जवाब आपस में बंट जाएंगे, जिससे दोनों ही समूह की गणना सही से नहीं हो पाएगी।

एएसएन/एसजीके

Created On :   7 Nov 2020 2:31 PM GMT

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