मध्य प्रदेश उपचुनाव : बीजेपी की तुलना में कांग्रेस की राह क्यों है मुश्किल?

Madhya Pradesh by-election: Why is the path of Congress harder than BJP?
मध्य प्रदेश उपचुनाव : बीजेपी की तुलना में कांग्रेस की राह क्यों है मुश्किल?
मध्य प्रदेश उपचुनाव : बीजेपी की तुलना में कांग्रेस की राह क्यों है मुश्किल?

नई दिल्ली/भोपाल 7 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में 24 सीटों के उपचुनाव की बिसात बिछ चुकी है। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने सभी सीटों के लिए प्रभारियों की भी नियुक्ति कर दी है। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। कांग्रेस के पक्ष में सीटों का समीकरण करने के लिए वह रणनीति तय करने में जुटे हैं। कमलनाथ के करीबियों का मानना है कि यह उपचुनाव ही सत्ता में वापसी का आखिरी विकल्प है और शिवराज से हिसाब बराबर करने का मौका भी। कमलनाथ हर सियासी चाल चल रहे हैं।

ज्योतिरादित्य के पिता माधव राव सिंधिया के बेहद करीबी रहे बालेंदु शुक्ला की कांग्रेस में घरवापसी कराने के पीछे कमलनाथ की सोची-समझी रणनीति बताई जाती है।

कमलनाथ को उम्मीद है कि बालेंदु शुक्ला, सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में कांग्रेस को कुछ फायदा पहुंचाएंगे। 24 सीटों के उपचुनाव की कसौटी पर दोनों दलों को कसें तो बीजेपी की राह आसान दिख रही है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा आईएएनएस से पूरे भरोसे के साथ कहते हैं कि पार्टी उपचुनाव की सभी 24 सीटें जीतकर दिखाएगी।

230 सदस्यीय मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। इसमें 22 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने और दो सीटें विधायकों के निधन से खाली हुई हैं। स्पष्ट बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 116 है। मौजूदा समय भाजपा के पास 107 विधायक हैं तो कांग्रेस के पास 92 की संख्या है। इस प्रकार देखें तो शिवराज सिंह चौहान सरकार को स्पष्ट बहुमत के लिए सिर्फ नौ सीटों की जरूरत है तो कांग्रेस को सभी 24 की 24 सीटें जीतनी होंगी। ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि कांग्रेस के लिए उपचुनाव में क्लीन स्वीप टेढ़ी खीर है। इस प्रकार उपचुनाव के भरोसे कमलनाथ सरकार की सत्ता में वापसी मुश्किल दिख रही है।

ग्वालियर-चंबल बेल्ट पर सबकी नजर

जिन 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उसमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की हैं। यह वही इलाका है, जहां कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया का वर्चस्व माना जाता है। बीजेपी सिंधिया के कारण इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के विधायकों को ही फिर से लड़ाकर सीटें हासिल करने की जुगत में है तो कांग्रेस सीटों को बचाने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस के नेताओं की ओर से विधायकों के विश्वासघात की दुहाई देकर जनता से उन्हें सबक सिखाने की अपील की जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि यूं तो उपचुनाव में सत्ताधारी भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। लेकिन, पांच सीटों पर भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा अपनों से चुनौती मिल रहीं हैं। इसमें देवास जिले की हाटपिपलिया, इंदौर जिले की सांवेर, ग्वालियर जिले की ग्वालियर, रायसेन की सांची और सागर जिले की सुरखी सीटें हैं। यहां भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं के बीच अंतर्कलह की स्थिति उभरकर सामने आ रही है। ऐसे में कांग्रेस भाजपा के अंदरखाने मचे संघर्ष का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।

हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा आईएएनएस से पार्टी में असंतोष जैसी स्थिति को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा, भाजपा एक पार्टी नहीं बल्कि परिवार है। यहां सभी आपस में मिल जुलकर बातें करते हैं। कहीं कोई मतभेद की स्थिति नहीं रहती। पार्टी अपने नेताओं के दम पर उपचुनाव की सभी सीटें जीतकर दिखाएगी।

Created On :   8 Jun 2020 7:01 AM GMT

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