डांस बार फैसले से महाराष्ट्र सरकार नाखुश, दायर कर सकती है पुनर्विचार याचिका
- डांस बार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार दायर कर सकती है पुनर्विचार याचिका
- महाराष्ट्र में विपक्ष और शिवसेना भी फिर से डांस बार खोले जाने के विरोध में हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में मुंबई में नए सुरक्षा नियमों के साथ डांस बार दोबारा खोलने को मंजूरी दी है।
डिजिटल डेस्क, मुंबई। डांस बार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राज्य सरकार पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है। गृहराज्य मंत्री (शहर) रणजीत पाटील ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फैसला राज्य की जनता की भावना के प्रतिकूल है और फैसले में आम लोगों की भावना की झलक नहीं मिलती। इससे साफ संकेत मिलता है कि डांस बारों को लेकर राज्य सरकार का रुख सकारात्मक नहीं है और इन पर रोक लगाने के लिए नए नियम बनाए जा सकते हैं। वहीं राकांपा इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर हो गई है और इस फैसले को सरकार और डांस बार मालिकों की मिलीभगत का नतीजा बताया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज (गुरुवार) अपने एक फैसले में मुंबई में नए सुरक्षा नियमों के साथ डांस बार दोबारा खोलने को मंजूरी दी है।
गृहराज्य मंत्री पाटील ने इस फैसले पर कहा कि डांस बार कानून में सरकार ने मंजूरी के लिए जो नियम बनाए थे, उनमें कई नियमों पर सर्वोच्च न्यायलय ने भी मुहर लगाई है। उन्होंने कहा कि डांस बार में किसी भी तरह की अश्लीलता न हो और डांस बार मालिक और बारबाला के बीच करार होना चाहिए यह बात सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्वीकार की है। इसके अलावा सरकार ने शाम छह से रात साढ़े ग्यारह बजे तक ही डांस बार चलने और बारबालाओं पर पैसे उड़ाने पर जो पाबंदी लगाई थी उसे भी सर्वोच्च न्यायलय ने सही बताया है। पाटील ने कहा कि फैसले की प्रति मिलने के बाद इसका अध्ययन कर सरकार आगे के रुख पर फैसला करेगी। पाटील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि डांस बार के नाम पर गलत हरकतें फिर न शुरू हों।
शिवसेना ने भी सरकार को बताया जिम्मेदार
शिवसेना के प्रवक्ता अनिल परब ने कहा कि प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाई। इसलिए सरकार कोर्ट में मुंह के बल गिर गई। परब ने कहा कि हमें पहले से पता था कि डांस बार का नया विधेयक अदालत में टिक नहीं पाएगा। सरकार ने डांस बार और पांच सितारा होटलों के बीच भेदभाव किया था। परब ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि राज्य में डांस बार दोबारा शुरू होगा।
कांग्रेस ने राज्य सरकार के सिर फोड़ा ठीकरा
डांस बार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि डांस बार शुरू होने से लड़कियों का शोषण बढ़ेगा और युवा वर्ग भी इससे प्रभावित होगा। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि मैं जानना चाहता हूं कि डांस बार मालिकों और भाजपा का क्या संबंध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जो कानून बनाया था, वह सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं सका। इस फैसले से भाजपा का सही चेहरा उजागर हो गया है।
विकल्पों पर विचार
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राज्य सरकार पुनर्विचार याचिका दायर करने और नए नियम बनाने जैसे विकल्पों पर विचार कर रहा है। अदालत ने निजता का हवाला देते हुए डांस बार के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाने पर रोक लगा दी है। लेकिन उम्र की जांच करने के बहाने सरकार डांस बार में जाने वालों के पहचान पत्र की जांच करने का नियम बनाने पर विचार कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से होटल मालिक उत्साहित
इंडियन होटल एंड रेस्टारेंट एसोसिएशन (आहार) के अध्यक्ष संतोष शेट्टी ने डांस बारों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अदालत ने राज्य सरकार द्वारा लगाए गए कई कड़े नियम हटा लिए हैं। हमें उम्मीद है कि इसके बाद डांस बारों का रास्ता साफ हो जाएगा। हमने संगठन के सदस्यों से कहा है कि वे नए नियमों के तहत डांस बारों के लिए आवेदन करें। उन्होंने कहा कि अगर डांस बार खुलते हैं तो मुंबई में ही करीब पांच हजार बारबालाओं और उनके परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
शेट्टी ने कहा कि बार खुलने से सिर्फ बारबालाओं नहीं बल्कि कई दूसरे लोगों को भी रोजगार मिलता है। होटल के अन्य कर्मचारी, ऑटो-टैक्सी वालों का रोजगार भी इससे जुड़ा होता है। अगर डांस बार खोलने की इजाजत मिलती है तो इससे 10 हजार से ज्यादा परिवारों को रोजी रोटी मिलेगी।
डांस बार के चलते अपराध और अश्लीलता बढ़ने के दावों पर शेट्टी कहते हैं कि किस आधार पर यह दावा किया जा रहा है, हमें नहीं मालूम। अब तक सरकार या किसी और संगठन की ओर से ऐसे कोई आंकड़े नहीं उपलब्ध कराए गए जिससे इन दावों की पुष्टि होती हो। हम इस तरह की बहस में नहीं फंसना चाहते फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद हमें बड़ी राहत मिली है क्योंकि कई अतार्किक और कड़े नियमों को हटा दिया गया है। फैसले के विस्तृत अध्ययन के बाद आहार से जुड़े सदस्य डांस बारों के लिए आवेदन देंगे। इसके बाद हम देखेंगे कि सरकार क्या रुख अपना रही है।
बारबालाओं में जागी उम्मीद: काले
बारबालाओं के लिए पिछले 15 सालों से लड़ाई लड़ रहीं भारतीय बार गर्ल्स यूनियन की अध्यक्ष वर्षा काले ने डांस बारों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है। हम एक बार बांबे हाईकोर्ट और चार बार सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई जीत चुके हैं। लेकिन सरकार हर बार कोई न कोई अड़चन खड़ी कर डांस बारों के लिए लाइसेंस देने में आनाकानी करती है।
काले ने कहा कि एक बार फिर डांस बार मालिक आवेदन करेंगे उस पर राज्य सरकार का रुख क्या होता है इससे आगे की स्थिति स्पष्ट होगी। उन्होंने कहा कि अब भी बड़ी संख्या में ऐसी लड़कियां उनके संपर्क में हैं जो रोजी रोटी के लिए डांस बार शुरू होने का इंतजार कर रही हैं। एक बार फिर उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई दी है।
उन्होंने कहा कि अब वे बारबालाओं के हक में ऐसा कांट्रैक्ट का मसौदा तैयार करने की कोशिश करेंगी जिससे उनके अधिकारों की रक्षा हो सके। हालांकि डांस बार शुरू होने को लेकर बहुत उम्मीद नहीं कर रही हैं। उनका कहना है कि राज्य में इस साल चुनाव हैं। राकांपा ने पहले ही मिलीभगत का आरोप लगाते हुए सरकार पर हमला शुरू कर दिया है। ऐसे में सरकार दबाव में होगी और इसे रोकने की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में भी अच्छे वकीलों के जरिए पैरवी करवाई लेकिन मजबूत तर्कों के आधार पर हमने जीत हासिल की।
2005 में आरआर पाटील न लगाई थी पाबंदी
साल 2005 में तत्कालीन गृहमंत्री दिवंगत आर.आर. पाटिल ने डांस बार पर पाबंदी लगा दी। इसके बाद 16 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने डांस बारों पर लगी रोक हटाने का आदेश दिया। 2014 में महाराष्ट्र सरकार ने कानून में सुधार कर फिर से डांस बार पर प्रतिबंध लगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में डांस बार पर प्रतिबंध संबंधी कानून पर स्थगन आदेश जारी किया। साल 2015 में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि डांस बार पर प्रतिबंध के लिए राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार है। राज्य सरकार की ओर से बनाए गए कानून को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और 17 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार पर प्रतिबंध हटा दिया। साथ ही, राज्य सरकार की कई शर्तों को खारिज कर दिया।
डांस बार मालिकों और सरकार की मिलीभगत-राकांपा
राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि डांस बार एसोसिएशन से सांठगांठ कर राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में कमजोर तर्क दिए। जिसके चलते यह फैसला आया है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए कि राज्य में फिर डांस बार न शुरू हो सकें। पत्रकारों से बातचीत के दौरान मलिक ने आरोप लगाया कि पाबंदी हटाने के लिए मुख्यमंत्री और डांस बार मालिकों में डील हुई है और इसमें भाजपा नेता शायना एनसी ने मध्यस्थता की।
महाराष्ट्र में डांस बारों पर पाबंदी: कब क्या हुआ
- 15 अगस्त 2005 को तत्कालिन आघाडी सरकार ने महाराष्ट्र में चल रहे डांस बारों पर पाबंदी लगाई।
- वर्ष 2006 में पाबंदी को असंवैधानिक बताते हुई बांबे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने पांबदी को गलत बताया।
- 16 जुलाई 2013 मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी हटाई।
- 13 अप्रैल 2014 को राज्य सरकार ने डास बारों पर पाबंदी कायम रखने के लिए संशोधन विधेयक विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित किया।
- इसके खिलाफ रेस्टोरेंट व बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की।
- 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने डांस बारों के लिए लाइसेंस जारी करने का निर्देश दिया।
- 17 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार में सीसीटीवी लगाने के सरकार के निर्देश को गलत बताया।
Created On :   17 Jan 2019 8:34 PM IST