मप्र : जल सत्याग्रहियों के गल रहे पैर, नोंच-नोंच खा रहीं मछलियां

MP: Water satyagrahis are getting sore feet, snakes and fish are eating
मप्र : जल सत्याग्रहियों के गल रहे पैर, नोंच-नोंच खा रहीं मछलियां
मप्र : जल सत्याग्रहियों के गल रहे पैर, नोंच-नोंच खा रहीं मछलियां

भोपाल, 5 नवंबर (आईएएनएस)। नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाने की प्रक्रिया से संकट में घिरे 2000 परिवारों को हक दिलाने के लिए 12 दिन से जल सत्याग्रह कर रहे लोगों की सेहत अब बिगड़ रही है। लगातार पानी में रहने से उनके पैर गलने लगे हैं और मछलियां उन्हें नोंच-नोंच कर खा रही हैं।

प्रदेश सरकार की ओर से जल सत्याग्रह करने वालों को मनाने की कोशिश जारी है। पांच मांगें मान ली गई हैं, मगर बांध का जलस्तर कम करने की मांग न माने जाने के कारण जल सत्याग्रह जारी है।

ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 193 मीटर से बढ़ाकर 196़6 मीटर किया जा रहा है। 21 अक्टूबर से जलस्तर बढ़ाने का दौर शुरू हो गया और जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कई गांव टापू में तब्दील होने लगे हैं और गांव व खेत तक जाने वाले रास्ते डूब चुके हैं।

जल सत्याग्रह कर रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल ने कहा, बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से खंडवा के 13 और देवास जिले के सात गांवों के लोग प्रभावित हैं। इस बांध से प्रभावित होने वाले 6000 हजार परिवारों में से 2000 परिवारों का पुनर्वास नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, पुनर्वास किए बिना जलस्तर बढ़ाना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। संकट में घिरे हजारों परिवारों पर सरकार को रहम करनी चाहिए।

खंडवा जिले के कामनखेड़ा में चल रहे जल सत्याग्रह का मंगलवार को 12वां दिन है। आंदोलनकारियों के साथी अजय गोस्वामी ने बताया कि सत्याग्रह करने वालों की सेहत लगातार बिगड़ रही है, पहले उनके पैरों की चमड़ी फूली, फिर फंगस लगने से जख्म हुए और अब तो जख्मों पर मछलियां हमला करने लगी हैं। दो हफ्तों से पानी में डूबे पैरों का बुरा हाल है।

उन्होंने आगे बताया कि सोमवार को राज्य शासन की ओर से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के पुनर्वास आयुक्त एवं एनएचडीसी के मुख्य महाप्रबंधक पवन शर्मा ने सत्याग्रह स्थल पर आकर जल सत्याग्रहियों और विस्थापितों के साथ लंबी चर्चा की।

नर्मदा आंदोलन के प्रमुख आलोक अग्रवाल ने पवन शर्मा को बांध के डूब क्षेत्र में बन रही गंभीर स्थिति से अवगत कराया और विस्थापितों के कानूनी और संवैधानिक अधिकारों के बारे में सूचित किया।

चर्चा के दौरान पवन शर्मा ने छह में से पांच मांगें मानने की बात कही। इसके मुताबिक, धामनोद निमरानी पुनर्वास स्थल पर 500 प्लाट विकसित किए जाएंगे एवं सभी पात्र परिवारों को इन्हें तत्काल आवंटित किया जाएगा। पात्र परिवारों को 50 हजार रुपये और 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर के साथ भुगतान किया जाएगा।

शर्मा ने कहा कि ग्राम कोथमीर, धारडी, गुवाड़ी, नयापुरा, नरसिंहपुरा, एखंड, देगावां आदि गांवों की टापू बनने वाली जमीनों का परीक्षण कर भू-अर्जन या रास्ता बनाने के विषय मे उचित निर्णय लिया जाएगा। भू-अर्जन व पुनर्वास के बाकी सभी कार्यो को अविलंब पूरा किया जाएगा और भू-अर्जन व पुनर्वास के कार्य में तेजी लाने के लिए इसे अगले छह सप्ताह में पूरा करना किया जाएगा।

पुनर्वास आयुक्त शर्मा ने बांध का जलस्तर 194 मीटर करने की मांग को पूरा करने में तत्काल असमर्थता जताई, जिस पर आंदोलनकारियों ने जल सत्याग्रह जारी रखने का फैसला लिया।

आंदोलनकारियों का कहना है कि कामनखेड़ा, घोघलगांव, एखंड आदि गांवों में तमाम घरों में पानी घुस गया है और अब उन घरों को तोड़कर सामान ले जाना संभव नहीं है, इसलिए बांध का पानी कम करने के बाद ही इन घरों को तोड़कर ईंट, दरवाजे वगैरह निकाले जा सकते हैं, इसलिए बांध का पानी कम करना बहुत जरूरी है।

Created On :   5 Nov 2019 2:30 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story