एमक्यूएम नेता का अमेरिका पर दमनकारी पाकिस्तानी सेना को बचाने का आरोप

MQM leader accuses America of saving repressive Pakistani army
एमक्यूएम नेता का अमेरिका पर दमनकारी पाकिस्तानी सेना को बचाने का आरोप
एमक्यूएम नेता का अमेरिका पर दमनकारी पाकिस्तानी सेना को बचाने का आरोप

नई दिल्ली/लंदन, 4 जून (आईएएनएस)। पाकिस्तान की प्रमुख राजनीतिक पार्टी, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने गुरुवार को डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन पर पाकिस्तान की सेना को बचाने का आरोप लगाया, जिसने देश के तीन प्रांतों पर अपनी क्रूर एवं दमनकारी नीति का इस्तेमाल किया है।

हुसैन ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक बयान में कहा, अमेरिका के राजनीतिक और वित्तीय समर्थन के साथ, पाकिस्तान ने देश के तीन प्रांतों गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र के अलावा सिंध, बलूचिस्तान एवं खैबर पख्तूनख्वा पर सैन्य रूप से कब्जा कर लिया है।

हुसैन द्वारा पाकिस्तान में वाम-उदारवादी राजनीतिक पार्टी एमक्यूएम की स्थापना 1984 में की गई थी। हालांकि पार्टी दो गुटों में विभाजित हो गई- एमक्यूएम लंदन हुसैन द्वारा चलाई जा रही है, जबकि एमक्यूएम पाकिस्तान की अध्यक्षता खालिद मकबूल सिद्दीकी कर रहे हैं।

हुसैन ने गुरुवार को कहा कि अतीत के निर्णय निमार्ता और वर्तमान अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान के लोगों की पीड़ा को समझने में लगातार असफल रहे हैं। एक या अन्य कारणों के लिए लगातार अमेरिकी सरकारों ने पाकिस्तानी निरंकुश शासनों का समर्थन किया है।

उन्होंने कहा, अमेरिका ने हमेशा इस तथ्य को नजरअंदाज किया है कि पाकिस्तानी सत्तावादी शासन दुनिया में सबसे क्रूर और नस्लवादी हैं।

उन्होंने कहा, यह एक ज्ञात तथ्य है कि पाकिस्तान सेना अल-कायदा, तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और सैकड़ों अन्य जिहादी संगठनों की निर्माता है, जहां हजारों धार्मिक कट्टरपंथी और आतंकवादी आईएसआई की रणनीतिक संपत्ति के रूप में प्रशिक्षित किए जा रहे हैं।

हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना और उसकी खुफिया एजेंसियां तथाकथित लोकतांत्रिक नागरिक सरकार के छलावे वाली दुनिया में सबसे दमनकारी है।

हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान में झूठे और मनगढ़ंत मामलों, गिरफ्तारियों एवं हत्याओं का सिलसिला इमरान खान सरकार में जारी है। मगर संयुक्त राष्ट्र सहित किसी भी संस्था या किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने पाकिस्तान को इन अपराधों के लिए जवाबदेह नहीं माना है।

उन्होंने कहा, इन सभी वास्तविकताओं के बावजूद अमेरिकी प्रशासन, विश्व बैंक और आईएमएफ सहित अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान पाकिस्तान के मुख्य वित्तीय समर्थक हैं।

Created On :   4 Jun 2020 3:00 PM IST

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