अयोध्या में मंदिर बनाने का फॉर्मूला सुझाने वाले सलमान नदवी को AIMPLB ने किया बाहर

Muslim Cleric Salman Nadwi, Who Suggested Shifting of Babri Site, Expelled from AIMPLB
अयोध्या में मंदिर बनाने का फॉर्मूला सुझाने वाले सलमान नदवी को AIMPLB ने किया बाहर
अयोध्या में मंदिर बनाने का फॉर्मूला सुझाने वाले सलमान नदवी को AIMPLB ने किया बाहर

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच विवादित स्थल पर मंदिर और किसी और जगह मस्जिद बनाने का रास्ता सुझाने वाले मौलाना सलमान नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। मौलाना नदवी ने कुछ दिन पहले आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर के साथ बेंगलुरु में बैठक के बाद अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए फॉर्मूला दिया था। उनके सुझावों से AIMPLB नाराज था और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए एक 4 सदस्यीय समिति का गठन किया था। AIMPLB ने शुक्रवार को ही हैदराबाद में अपनी बोर्ड मीटिंग में नदवी के फॉर्मूले को सिरे से खारिज कर दिया था। नदवी बोर्ड के एग्जीक्यूटिव सदस्य थे।

मस्जिद को नही किया जा सकता गिफ्ट न ही शिफ्ट
AIMPLB के सदस्य कासिम इलयास ने मौलाना नदवी को निकाले जाने की जानकारी देते हुए रविवार को कहा, "समिति ने ऐलान किया कि AIMPLB अपने पुराने रुख पर कायम रहेगा कि मस्जिद को न तो गिफ्ट किया जा सकता है, न बेचा जा सकता है और न शिफ्ट किया जा सकता है। क्योंकि सलमान नदवी इस एकमत रुख के खिलाफ गए, इसलिए उनको बोर्ड से निकाला जाता है।"

 

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इससे पहले शुक्रवार को अयोध्या मसले को कोर्ट के बाहर सुलझाने की कोशिश की गई थी। उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम नेताओं और आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्रीश्री रविशंकर के बीच बेंगलुरु में मुलाकात हुई थी, लेकिन रात होते-होते स्पष्ट हो गया था कि बाकी पक्षकार इससे राजी नहीं हैं। मुस्लिम पक्षकार सलमान नदवी ने इस मुलाकात पर कहा था, "कोर्ट अपना फैसला लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर नहीं करता। हम चाहते हैं कि सभी पक्षों का दिल रखा जाए और सब फैसले से खुश हों।" नदवी ने विवादित स्थल पर मंदिर और किसी और जगह मस्जिद बनाने को लेकर तीन सुझाव दिए थे, जिन्हें रात तक बाकी पक्षकारों और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने खारिज कर दिया था।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से कहा गया था कि मुसलमानों ने बातचीत के जरिए मसले के हल की पूरी कोशिश की गई लेकिन यह संभव नहीं हो सका। उनका एक ही जवाब रहा कि मुसलमान मस्जिद पर दावेदारी छोड़ दें लेकिन शरियत के हिसाब से हमें यह मंजूर नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 1993 के फैसले पर कायम रहेगा। शरियत के मुताबिक मस्जिद की जमीन किसी को न बेची जा सकती है न किसी को गिफ्ट की जा सकती है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए अदालत का जो फैसला आएगा उसे हम मंजूर होगा।

अयोध्या को लेकर क्या है विवाद?
अयोध्या विवाद इस देश का सबसे बड़ा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।

 

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14 मार्च को होगी अगली सुनवाई
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले सभी मुख्य पक्षकारों की दलील सुनी जाएगी, उसके बाद दूसरी पिटीशंस पर सुनवाई होगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ एक जमीन विवाद की तरह ही देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 2 हफ्ते के अंदर सभी डॉक्यूमेंट्स तैयार करने को कहा है और इसी के साथ अब इस मामले की सुनवाई अब 14 मार्च को की जाएगी।
 

Created On :   11 Feb 2018 6:35 PM IST

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