अवैध कोयला खनन नहीं रोक सकी मेघालय सरकार, NGT ने लगाया 100 करोड़ का जुर्माना
- NGT ने अवैध कोयला खनन पर अंकुश लगाने में विफल रहने पर मेघालय सरकार पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
- अवैध खननकर्ताओं और जिम्मेदार अधिकारियों से जुर्माना वसूला जा सकता है जुर्माना।
- जुर्माना 2 महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करना होगा।
डिजिटल डेस्क, शिलॉन्ग। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने शुक्रवार को अवैध कोयला खनन पर अंकुश लगाने में विफल रहने पर मेघालय सरकार पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। NGT ने कहा कि अवैध खननकर्ताओं और जिम्मेदार अधिकारियों से जुर्माना वसूला जा सकता है और इसे 2 महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करना होगा।
एक सीनियर एडवोकेट ने कहा कि NGT की चेयरपर्सन ए के गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष दो जनवरी को एक उच्च-स्तरीय समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर पूर्वी राज्य में अधिकांश खदानें बिना पट्टे या लाइसेंस के चल रही थीं।
ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार पर उत्तर पूर्वी राज्य में अवैध खनन को रोकने के लिए "निष्क्रियता" के रूप में 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। सुनवाई के दौरान वकील ने कहा, राज्य सरकार ने माना कि बड़ी संख्या में खदानें अवैध रूप से चल रही थीं।
मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के लुमथारी गांव में 13 दिसंबर से कम से कम 15 खनिक अवैध रूप से चलाई जा रही कोयला खदान में फंसे हुए हैं। इस खदान में पास की नदी का पानी भर गया है जिस कारण खनिकों को अब तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। पानी को पंप की मदद से बाहर निकालने के सभी प्रयास बेकार हो चुके हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता राज पंजवानी ने कहा कि जुर्माने की राशि दो महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करनी होगी। उन्होंने कहा कि बेंच ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि अवैध खनन करने वालों और अवैध रूप से खदानों के संचालन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से राशि की वसूली की जा सकती है।
गुवाहाटी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बी पी काकोटी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि मेघालय में लगभग 24,000 खदानें थीं और उनमें से अधिकांश अवैध रूप से चल रही थीं। यह भी कहा कि न केवल कोई लाइसेंस या पट्टे थे, बल्कि अधिकांश कोयला खदानों के संचालन के लिए कोई पर्यावरणीय मंजूरी नहीं थी।
NGT ने मेघालय में पर्यावरण बहाली योजना और अन्य जुड़े मामलों की निगरानी के लिए अगस्त 2018 में समिति का गठन किया था। समिति का गठन उस याचिका की सुनवाई के दौरान किया गया था जिसमें मेघालय में कोयला खनन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। इसमें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कुछ रिपोर्टों को भी ध्यान में रखा गया था।
मेघालय के एडवोकेट जनरल अमित कुमार ने कहा कि उन्हें NGT द्वारा राज्य पर 100 करोड़ रुपये लगाने के आदेश के बारे में अवगत करा दिया गया था। उन्होंने कहा कि विस्तृत आदेश एक दो दिनों में उपलब्ध करा दिया जाएगा।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 17 अप्रैल 2014 से मेघालय में "रेट-होल" कोयला खनन पर अंतरिम प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। ताजा आदेश तब आया है जब मेघालय में एक अवैध कोयला खदान में 13 दिसंबर से फंसे 15 खनिकों को निकालना मुश्किल हो रहा है क्योंकि 355 फीट गहरी खदान का कोई ब्लू प्रिंट नहीं है जिसमें की रेट होल्स की भूलभुलैया है।
Created On :   5 Jan 2019 12:39 AM IST