अपनी औकात के मुताबिक काम करता हूं, प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता : गडकरी

Nitin Gadkari says, I dont want to become a prime minister
अपनी औकात के मुताबिक काम करता हूं, प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता : गडकरी
अपनी औकात के मुताबिक काम करता हूं, प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता : गडकरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा है कि उन्होंने अब तक जो भी हासिल किया है, उससे वे संतुष्ट हैं उन्हें प्रधानमंत्री बनने की कोई लालसा नहीं है। यह पूछे जाने पर कि भाजपा के अपने सहयोगियों तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), शिवसेना व अकाली दल के साथ तनावपूर्ण संबंधों और वर्ष 2019  के लोकसभा चुनावों में सरकार बनाने के लिए जरूरी आकड़ा पाने में नाकाम रहने पर क्या उन्हें सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुना जाएगा? इसके जवाब में गडकरी ने यह बात कही है।

यहां आयोजित एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मैं संतुष्ट हूं और मैं प्रधानमंत्री बनने का सपना नहीं देख रहा या ना ही मेरी ऐसी कोई ख्वाहिश है। पार्टी ने मोदी को चुना है और मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में हम अकेले लड़ेंगे और वर्ष 2019  का चुनाव जीतेंगे।" गडकरी ने कहा, "मैं अपनी औकात और हैसियत के मुताबिक काम करता हूं। मैंने किसी को भी अपनी तस्वीर नहीं दी है और कभी किसी को अपना बायोडाटा नहीं दिया है ना ही मैंने कहीं अपना कटआउट लगाया है। ना ही कोई मुझे लेने के लिये हवाईअड्डा आता है। मैं अपनी क्षमता के अनुसार काम करता हूं।"

गडकरी ने विश्वास जताया कि भाजपा के सभी सहयोगी अगले आम चुनावों के लिये साथ आएंगे। हालांकि यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना उनके साथ बनी रहेगी? उन्होंने गोल मोल जवाब देते हुए कहा कि राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता। शिवसेना सार्वजनिक रूप से अकेले चलने की अपनी मंशा जाहिर कर चुकी है। एक लोकप्रिय मराठी मुहावरा बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनमें भले ही खटपट हो सकती है लेकिन भाजपा के बगैर सहयोगियों के लिये कुछ भी करना संभव नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा नेता ने यह साफ किया कि महाराष्ट्र की संस्कृति से उन्हें वैसे तो बहुत लगाव है और दिल्ली में रहने में उन्हें कई परेशानियां भी आयीं, लेकिन फिर भी अभी मुंबई लौटने का उनका कोई इरादा नहीं है। मंत्री ने कहा कि मोदी के बारे में गलत धारणा बनायी जाती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बहुत लोकतांत्रिक हैं। वे अहम नीतिगत मामलों पर सभी की सुनते हैं।

गडकरी ने कहा कि मोदी बेहद अनुशासन पसंद हैं और वह अपने व्यक्तिगत जीवन में भी दृढ़ निश्चयी हैं। यही कारण है कि लोग उन्हें सख्त समझ लेते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि वह दूसरों की नहीं सुनते हैं। इस सवाल पर कि अन्य नेताओं की तुलना में शाह एवं मोदी के नेतृत्व में भाजपा में क्या कोई बदलाव आया है? गडकरी ने कहा कि बदलाव तो नियत है और हर किसी को बदलना ही पड़ता है। भाजपा के अच्छे दिन के नारे के बारे में और क्या पार्टी वादों को पूरा करने के संदेश के साथ मतदाताओं के पास जाएगी? इस पर गडकरी ने कहा कि मानव की आकांक्षाएं असीम हैं और अच्छे दिन में विश्वास इसे स्वीकार करने में किसी व्यक्ति की क्षमता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि रोटी, कपड़ा और मकान हासिल करना, किसी व्यक्ति के अंदर अच्छे दिन के नारे में विश्वास पैदा कर सकता है और लोगों की जरूरतों के समाधान के लिये मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदम इसे प्रदर्शित करते हैं।

Created On :   10 March 2018 10:24 PM IST

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