विश्वविद्यालय के बहाने, यूपी में जाट को साधने में जुटी बीजेपी

On the pretext of university, BJP engaged in cultivating Jats in UP
विश्वविद्यालय के बहाने, यूपी में जाट को साधने में जुटी बीजेपी
यूपी की सियासत विश्वविद्यालय के बहाने, यूपी में जाट को साधने में जुटी बीजेपी
हाईलाइट
  • विश्वविद्यालय के बहाने जाट वोटबैंक पर नजर

डिजिटल डेस्क, अलीगढ़। आज (मंगलवार) देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम की यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया। बता दें कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ- साथ लेखक व पत्रकार भी थे। महेंद्र प्रताप सिंह जाट समाज के बड़े नेता थे। यूपी में आगामी 2022 विधान सभा चुनाव होने वाला है जिसको लेकर, अब राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग कयास लगाये जा रहे है। पश्चिमी यूपी में बीजेपी अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए मंगलवार से चुनावी शंखनाद शुरू कर चुकी है। ऐसी चर्चा है कि पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय इस समय बीजेपी से नाराज चल रहा है। अब बीजेपी अलीगढ़ को जाट समुदाय के बडे़ नेता के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय देकर जाट वोटरों को साधने की कोशिश में जुट गयी है। 

पश्चिमी यूपी में जाट का वजूद 

बता दें कि पश्चिमी यूपी में जाट समाज की आबादी करीब 17 फीसदी हैं। पश्चिमी यूपी में दलित, मुस्लिम के बाद तीसरे नंबर पर जाट हैं। जाटों के रुख से सहारनपुर मंडल की तीन सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, मेरठ मंडल की पांच मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, मुरादाबाद मंडल की बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, नगीना, अलीगढ़ मंडल की हाथरस, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी आदि 18 सीटों का रुख तय होता है। इन 18 लोकसभा सीटों में 120 विधानसभा सीटें पर जाट वोट असर रखता है। 

जिसका जाट उसके ठाठ

जाट लैंड, शुगर बाउल, किसान बेल्ट, जाट-मुस्लिम एकता की प्रयोगशाला, ना जाने कितने नामों के पहचान रखने वाले वेस्ट यूपी में हर किसी की नजर चुनाव में जाट समाज के रुख पर रहती है। कहावत है कि "जिसका जाट उसके ठाठ"। इसकी एक वजह यह भी है कि चौधराहट करने वाले जाट समाज के पीछे अन्य जातियों का रुझान भी यहां तय होता रहा है। कभी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर एकजुट रहने वाला जाट समाज 2014 में पूरी तरह से मोदी लहर में बह गया था। नतीजा वेस्ट यूपी में हर लोकसभा सीट पर कमल खिला था। हालांकि बीजेपी भाजपा ने 2013 से लेकर 2021 के साथ तक लगभग 9 साल के समय में वेस्ट यूपी की दो बड़ी आबादी गुर्जर और जाट समाज को अपने साथ जोड़ने की पूरी कोशिशें की हैं। और उसमें कामयाब भी हुई है, मौजूदा वक्त में संजीव बालियान , सत्यपाल सिंह , राजा भारतेंद्र, सुरेंद्र नागर, मोहित बेनीवाल से लेकर योगेश धामा उर प्रदीप सिंह जैसे दिग्गजों को भाजपा ने सम्मान और पद दोनों दिए हैं। लेकिन अब के हालात कुछ अलग ही है, हाल ही के दिनों में मुजफ्फरनगर में हुए किसान महापंचायत में भारी संख्या में जाट किसान पहुंचे थे। जिन्होंने ने बीजेपी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला था। बीजेपी के लिए ये सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया है। इसी को देखकर बीजेपी एक बार फिर जाट वोटरों को लुभाने में जुट गयी है। 

क्या भाजपा की गणित बिगाड़ेंगे अजित चौधरी?

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है,किसान आंदोलन से लेकर बीते 7 महीनों में हालात बदल से गये हैं। देश का “जाटलैंड” कहे जाने वाले इस क्षेत्र में जहां 2014 से लेकर 2017 तक और फिर 2019 तक भाजपा ने एकछत्र राज किया,और संजीव बालियान,सत्यपाल सिंह जैसे नेताओं का दौर आया लेकिन किसान आंदोलन के बाद से अब माहौल बदला सा लग रहा है। जयंत चौधरी किसान आंदोलन में “हीरो” की तरह जमीन पर उतर आए हैं। उन्होंने लगातार किसान रैलियां और जनसभाएं करते हुए राज्य और केंद्र सरकार पर खुल कर निशाना साधा है। उन्होंने,किसान,गन्ना,गरीब की बात करते हुए जनता के बीच जाना शुरु कर दिया है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए जयंत चौधरी की सक्रियता ने बीजेपी के लिए बेचैनी पैदा कर दी है। 

Created On :   14 Sep 2021 8:18 AM GMT

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