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बिहार में चुनाव कराने की दिशा में चुनाव आयोग का एक और कदम

हाईलाइट
- बिहार में चुनाव कराने की दिशा में चुनाव आयोग का एक और कदम
नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस)। बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां जोरों पर है। एक ओर राजनीतिक पार्टियां राजनीतिक बिसात बिछा रही हैं, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग भी चुनाव के लिये तैयारियां शुरू कर चुकी है। इस सिलसिले में आयोग ने एक कदम और बढ़ा दिया है।
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, आयोग अब अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रही है। आयोग 29 जून से इस बाबत प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करेगी। पहले चरण में बिहार स्थिति मुख्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के कमर्चारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस दौरान मास्टर ट्रेनर बनाया जायेगा।
इसके बाद मास्टर ट्रेनर जिलों के कर्मियों को प्रशिक्षण देंगे, फिर अनुमंडल स्तर पर और प्रखंड स्तर पर सरकारी कर्मचारियों को ट्रेनिग दी जायेगी। पूरा कार्यक्रम 29 जून से शुरू होकर आठ दिनों तक चलेगा।
गौरतलब है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कर्मचारियों को नामांकन कराने, मतदान कराने, स्क्रूटनी, नाम वापसी, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। आयोग के मुताबिक कमर्चारियों को विभिन्न स्तर पर ट्रेनिंग देने का कार्यक्रम तय कर दिया गया है। इस दौरान कोरोना महामारी के काल में चुनावी प्रकिया को सुरक्षित अंजाम देने के लिये भी विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा।
आयोग के मुताबिक, कोरोना काल में प्रशिक्षण के दौरान सामाजिक दूरी, मॉस्क पहनने जैसे आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन किया जायेगा।
ध्यान रहे कि कुछ दिन पहले ही आयोग ने पटना में राजनीतिक दलों के साथ अलग- अलग बैठक की थी और चुनाव सम्पन्न कराने को लेकर सुझाव मांगे थे। राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव कराने के लिए कई सुझाव दिया था। ज्यादातर दल दो से तीन चरणों में चुनाव कराने जाने के पक्ष में थे।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।