'सर्जिकल स्ट्राइक' पर पर्रिकर-अब्दुल्ला आमने-सामने

Parrikar-Abdullah face-to-face on surgical strike
'सर्जिकल स्ट्राइक' पर पर्रिकर-अब्दुल्ला आमने-सामने
'सर्जिकल स्ट्राइक' पर पर्रिकर-अब्दुल्ला आमने-सामने

डिजिटल डेस्क, पणजी। शुक्रवार को सर्जिकल स्ट्राइक पर पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि योजना 15 महीने पहले ही तैयार कर ली गई थी, वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के पर्रिकर के दावों को झूठा बताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, उरी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक का आपस में कोई लेना-देना नहीं है। उमर ने चुटकी लेते हुए कहा कि 'सर्जिकल स्ट्राइक' इसलिए हुई क्योंकि एक मंत्री से इस बारे में इन्सल्टिंग प्रश्र पूछा गया था ? 

उमर के ट्वीट ने सर्जिकल स्ट्राइक को दी हवा

दरअसल पणजी में हुए उद्योगपतियों के एक कार्यक्रम पर्रिकर सर्जिकल स्ट्राइक पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि उग्रवादी संगठन एनएससीएन के द्वारा भारतीय सेना के काफिले पर चार जून 2015 को घात लगाकर हमला करने पर उन्होंने अपमानित महसूस किया। इस हमले के बाद पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के ठिकानों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' की नींव रखी।

वहीं उमर ने अपने ट्वीट में कहा कि एक न्यूज एंकर ने प्रश्र किया और पाकिस्तान के साथ सारा विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने कहा कि समझने की बात है कि उड़ी में जैशे मोहम्मद सैन्य शिविर पर हमला करता है और उसमें भारतीय सेना के आठ जवान मारे जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि हमलावरों को बख्शा नहीं जाएगा और उसके ग्यारह दिन बाद 'सर्जिकल स्ट्राइक' होती है।

जबकि पर्रिकर ने एंकर वाली बात को सर्जिकल स्ट्राइक से जोड़कर नहीं कही थी। उन्होंने कहा था कि मेंने अपने सहयोगी मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ टीवी चर्चा भी बहुत ध्यान से सुनी। एक सवाल ने मुझे ठेस पहुंचाई। पूर्व सैनिक राज्यवर्धन सिंह राठौड़ टीवी पर थे और वह सभी प्रकार के खोजी अभियानों के बारे में बता रहे थे। एक एंकर ने उनसे पूछा क्या आप में पश्चिमी मोर्चे पर भी ऐसा ही करने का साहस और क्षमता है उन्होंने कहा, मैंने बहुत गंभीरता से सुना लेकिन समय आने पर जवाब देने का फैसला किया।

9 जून 2015 को बनाई योजना

पर्रिकर से सवाल किया गया कि आपके पास ऐसी ही कोई कार्रवाई पश्चिमी मौर्चे पर करने की क्षमता है। जिसके बाद हमने सर्जिकल स्ट्राइक की नींव 9 जून 2015 को रखी और सेना की टुकड़ियों को कड़ी ट्रेनिंग दी गई। DRDO की ओर से विकसित वेपन लोकेटिंग रडार का पहला इस्तेमाल पाक सेना की फायरिंग यूनिट्स का पता लगाने के लिए किया गया। 3 महीने बाद आधिकारिक तौर पर इसे सेना में शामिल किया गया। 15 महीने की तैयारी के बाद 29 सितंबर 2016 को इसे अंजाम दिया गया। इस सर्जिकल स्ट्राइक में 70-80 आतंकियों को मार गिराया गया।

18 जवान हुए थे शहीद

4 जून 2015 को नार्थ ईस्ट के उग्रवादी संगठन ने मणिपुर के चंदेल में भारतीय सेना पर हमला किया था। छोटे से आतंकी संगठन ने निशाना बनाकर 18 भारतीय जवानों को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद पर्रिकर ने इसे सेना का अपमान बताया और इसी के बाद से सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई गई।

Created On :   1 July 2017 10:58 AM GMT

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