प्रसिद्ध गीतकार और कवि गोपालदास नीरज का निधन, एम्स में ली अंतिम सांस
- आगरा में बुधवार को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था।
- प्रसिद्ध गीतकार और कवि गोपालदास नीरज का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
- फेफड़े में संक्रमण की बीमारी से जूझ रहे गोपालदास का आगरा में इलाज चल रहा था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी जगत के प्रसिद्ध गीतकार और कवि गोपालदास नीरज का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। फेफड़े में संक्रमण की बीमारी से जूझ रहे गोपालदास का आगरा में इलाज चल रहा था। यहां बुधवार को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया। यहां उन्हें ट्रामा सेंटर के आईसीयू में रखा गया था। इलाज के दौरान ही उन्हें सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने लगी थी। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया है। पीएम ने ट्वीट में लिखा, "प्रसिद्ध कवि और गीतकार श्री गोपालदास "नीरज" के निधन से दुखी..श्री नीरज की अनूठी शैली ने उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से जोड़ा, उनके काम अविस्मरणीय रत्न हैं, जो हमेशा रहेंगे और प्रेरित करेंगे, अपने प्रशंसकों के लिए शोक"।
Saddened by the demise of noted poet and lyricist Shri Gopaldas ‘Neeraj.’
— Narendra Modi (@narendramodi) July 19, 2018
Shri Neeraj"s unique style connected him with people from all walks of life, across generations. His works are unforgettable gems, which will live on and inspire many. Condolences to his admirers.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कवि गोपाल दास नीरज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य जगत के लिए बड़ी हानि बताया।
श्री गोपाल दास ‘नीरज’ जी के निधन से साहित्य जगत को जो हानि हुई है, उसकी भरपाई होना कठिन है।, ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं परिजनों को संबल देने की प्रार्थना करता हूँ।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 19, 2018
पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कवि गोपालदास के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि उनके अमर गीत हमेशा-हमेशा हमारी स्मृतियों में गूँजते रहेंगे... कारवाँ गुज़र गया...।
महान कवि श्री गोपालदास ‘नीरज’ जी के महाप्रयाण पर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि! उनके अमर गीत हमेशा-हमेशा हमारी स्मृतियों में गूँजते रहेंगे... कारवाँ गुज़र गया... pic.twitter.com/BzEh6QWphu
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 19, 2018
बता दें कि नीरज को 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती सम्मान से भी सम्मानित किया था। फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। 1970 में फिल्म चन्दा और बिजली के गीत ‘काल का पहिया घूमे रे भइया!’, 1971 में फिल्म पहचान के गीत ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’ और 1972 में फिल्म मेरा नाम जोकर के गीत ‘ए भाई! जरा देख के चलो’ के लिए उन्हें पुरस्कार मिला है।
कवि गोपालदास नीरज के परिजनों ने बताया कि वे फेफड़े में संक्रमण की बीमारी से जूझ रहे थे। पिछले कुछ दिनों से उन्हें बार-बार इसी संक्रमण की शिकायत हो रही थी। इसी सोमवार को वे अपनी बेटी से मिलने आगरा पहुंचे थे। नीरज की बेटी कुंदनिका शर्मा आगरा के बल्केश्वर इलाके में रहती हैं। यहां मंगलवार को उनकी सुबह के नाश्ते के बाद तबीयत बिगड़ गई थी। इसके बाद उन्हें दीवानी कचहरी के पास स्थित लोटस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था।
यहां भी इलाज के दौरान उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इसके बाद वहां के डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली एम्स में ले जाने की सलाह दी थी। एम्स प्रबंधन ने बताया है कि नीरज को बुधवार रात एम्स ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया था। इस दौरान पल्मोनरी और मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने उनका उपचार किया।
महाकवि कहे जाने वाले गोपालदास नीरज जी की कुछ प्रसिद्ध रचनाएं....
- प्रसिद्ध गज़ल...
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
आप मत पूछिए क्या हम पे सफ़र में गुज़री
था लुटेरों का जहाँ गाँव वहीं रात हुई
ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू ग़ैरों से मगर
आज तक हम से हमारी न मुलाक़ात हुई
हर ग़लत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझ को
एक आवाज़ तिरी जब से मिरे साथ हुई
मैं ने सोचा कि मिरे देश की हालत क्या है
एक क़ातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई
- प्रसिद्ध फिल्मी गीत...
1.
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब,
होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
2.
कहता है जोकर सारा ज़माना
आधी हक़ीकत आधा फ़साना
चश्मा उठाओ, फिर देखो यारो
दुनिया नयी है, चेहरा पुराना
कहता है जोकर ...
3.
खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछड़ने को
खिलते हैं गुल यहाँ...
4.
स्वप्न झरे फूल से,
मीत चुभे शूल से,
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे!
Created On :   19 July 2018 9:55 PM IST