अवमानना पर सुनवाई से पहले प्रशांत भूषण ने आपराधिक अवमानना की वैधता को चुनौती दी

Prashant Bhushan challenged the legality of criminal contempt before hearing on contempt
अवमानना पर सुनवाई से पहले प्रशांत भूषण ने आपराधिक अवमानना की वैधता को चुनौती दी
अवमानना पर सुनवाई से पहले प्रशांत भूषण ने आपराधिक अवमानना की वैधता को चुनौती दी

नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अदालत की अवमानना कानून में धारा 2(सी)(आई) की वैधता को चुनौती दी है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 19 और 14 का उल्लंघन करार दिया है।

न्यायपालिका के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने और इसे तिरस्कार के दायरे में लाने के लिए भूषण के खिलाफ हाल ही में अवमानना की कार्यवाही को लेकर नोटिस जारी किया गया था। शीर्ष अदालत ने 22 जुलाई को भूषण और ट्विटर इंक को उनके विवादास्पद ट्वीट्स के लिए नोटिस जारी किया था।

दो दिन बाद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण के खिलाफ 2009 के लंबित एक और अवमानना मामले पर सुनवाई शुरू करने का फैसला किया है। दोनों मामलों पर चार और पांच अगस्त को सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि यह उप-धारा असंवैधानिक है, क्योंकि यह संविधान की प्रस्तावना के मूल्यों और बुनियादी विशेषताओं के साथ असंगत है और इससे अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन भी होता है। उन्होंने दावा किया है कि उप-धारा असंवैधानिक और अस्पष्ट है।

अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (सी) (आई) किसी भी चीज के प्रकाशन आपराधिक अवमानना के रूप में परिभाषित करती है - चाहे वह शब्दों द्वारा हो, बोला गया हो, लिखित या संकेतों के द्वारा ही क्यों न प्रकट किया गया हो।

याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से कहा है कि धारा 2 (सी) (आई) को संविधान के अनुच्छेद 19 और 14 का उल्लंघन करने वाला घोषित करना चाहिए।

याचिका में दलील दी गई है कि लागू उप-धारा असंवैधानिक है, क्योंकि यह संविधान की प्रस्तावना मूल्यों और बुनियादी विशेषताओं के साथ असंगत है।

Created On :   1 Aug 2020 2:30 PM GMT

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