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उप्र में संस्कृत के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने की तैयारी

लखनऊ, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में संस्कृत भाषा को आधुनिकता की श्रेणी में लाने के लिए एक और नया अध्याय जोड़ने का प्रयास हो रहा है। अब संस्कृत के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने की तैयारी चल रही है।
उप्र संस्कृत संस्थान की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति के लिए शासन की ओर से भी मंजूरी मिल चुकी है।
उप्र संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ़ वाचस्पति मिश्र ने बताया कि पहले संस्थान के छात्रों को समाज कल्याण विभाग की ओर से 500 रुपये तक छात्रवृत्ति दी जाती थी, जिससे उनका कोई भी भला नहीं हो पाता था।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के 1175 संस्थानों में पढ़ने वाले करीब एक लाख छात्रों को कक्षा के हिसाब से छात्रवृत्ति दी जाएगी। कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को दो हजार रुपये, नौ से 10 तक पांच हजार रुपये और 11वीं से 12वीं तक छह हजार रुपये वार्षिक छात्रवृत्ति मिलेगी। पहले चरण में एक हजार छात्रों का चयन किया जाएगा। 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले छात्र ही आवेदन कर सकेंगे।
संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष ने कहा, हम इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर रहे हैं। अच्छी तरह से संचालित होने के बाद इसका स्तर और बड़ा करेंगे। अगले महीने से संस्कृत विद्यालयों के माध्यम से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
डा़ॅ मिश्रा ने बताया कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों के अंदर शुरू से ही संस्कार आते हैं जो समाज को एक नई दिशा देते हैं। इसे पढ़ने वाले ज्योतिषाचार्य या कर्मकांडी या पुरोहित ही बन सकते हैं, अब इस मिथक को तोड़कर संस्कृत नए आयाम गढ़ रही है। विज्ञान की भांति संस्कृत पढ़कर भी सिविल सेवा समेत अन्य क्षेत्रों में अपनी मेधा प्रदर्शित की जा सकती है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।