सामान्य वर्ग आरक्षण से जुड़े बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी, सरकार ने भी अधिसूचना जारी की
- 124वें संविधान संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी।
- आरक्षण के प्रावधानों से जुड़े नियम-कायदों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है।
- सरकार ने इस सम्बंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने सम्बंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के तुरंत बाद सरकार ने इस सम्बंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अब आरक्षण के प्रावधानों से जुड़े नियम-कायदों को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुट गया है।
गौरतलब है कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दस फीसदी आरक्षण के लिए 124वां संविधान संशोधन विधेयक संसद के शीतसत्र में पास हुआ था। गत बुधवार को राज्यसभा से इस बिल को पास किया गया। बिल के समर्थन में 165 वोट गिरे, जबकि विरोध में 7 सांसदों ने वोट किए। इससे पहले लोकसभा से इस बिल को मंगलवार को पास किया गया था। लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 323 मत पड़े थे, जबकि विपक्ष में महज 3 मत गिरे थे।
दोनों ही सदनों में सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने इस बिल को पेश किया था। लोकसभा में इस बिल पर जहां 5 घंटे चर्चा चली थी, वहीं राज्यसभा में इस पर 10 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई थी। दोनों ही सदनों में AIADMK, AIMIM और RJD के अलावा सभी दलों ने बिल को अपना समर्थन दिया था। इस दौरान सत्तापक्ष के नेताओं ने जहां इस बिल पर मोदी सरकार की पीठ थपथपाई, वहीं विपक्षी पार्टियों ने बिल का समर्थन तो किया लेकिन साथ ही इसे मोदी सरकार का नया चुनावी जुमला भी करार दिया। विपक्षी दलों ने इस दौरान कहा कि सरकार ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए सामान्य वर्ग को लुभाने के मकसद से बिल को जल्दबाजी में संसद में पेश किया। विपक्षी नेताओं का कहना था कि आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट इस संशोधन बिल को रद्द कर देगा, क्योंकि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
दोनों ही सदनों में विपक्षी के कई सांसदों ने इस विधेयक को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की भी मांग की। लेकिन दोनों ही सदनों में ऐसे प्रस्तावों को वोटिंग के दौरान खारिज कर दिया गया। अन्य सांसदों के संशोधन प्रस्ताव को भी भारी मतों से खारिज कर दिया गया।
बता दें कि इस 124वें संविधान संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दे दी गई है। यूथ फॉर इक्वलिटी नाम के एक NGO ने इस बिल के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि, यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय की गई है, इससे ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक है। याचिका में आर्थिक आधार पर महज सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देना भी अंसवैधानिक बताया है।
Created On :   12 Jan 2019 10:44 PM IST