नागरिकता बिल : राम माधव बोले- गठबंधन दलों की चिंताओं को दूर करेंगे

Ram Madhav on alliances concerns over the Citizenship Amendment Bill
नागरिकता बिल : राम माधव बोले- गठबंधन दलों की चिंताओं को दूर करेंगे
नागरिकता बिल : राम माधव बोले- गठबंधन दलों की चिंताओं को दूर करेंगे
हाईलाइट
  • नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अपने साथी दलों की नाराजगी दूर करेगी बीजेपी।
  • बीजेपी नेता राम माधव ने कहा
  • हम उन दलों से बात कर रहे हैं
  • जिन्होंने इस बिल को लेकर चिंता व्यक्त की है।
  • राम माधव ने यह भी कहा कि जिन दलों ने इस मुद्दे पर साथ छोड़ा है
  • वे भी वापस आ जाएंगे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अपने ही साथी दलों की नाराजगी झेल रही बीजेपी अब ऐसे दलों की चिंताएं दूर करने की बात कह रही है। बीजेपी नेता राम माधव ने कहा है कि हम उन दलों से बात कर रहे हैं, जिन्होंने इस बिल को लेकर चिंता व्यक्त की है। राम माधव ने कहा, "हम उन्हें आश्वस्त करेंगे कि प्रत्येक राज्य के लोगों की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान व राज्य की विरासत का पूरा ध्यान रखा जाएगा।"

इस मुद्दे पर बीजेपी का साथ छोड़ने वाली असम गण परिषद पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि पार्टी को इस बात का पूरा विश्वास है कि जो लोग इस मुद्दे पर साथ छोड़कर गए हैं, वे वापस आ जाएंगे।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। तीन दिन पहले ही इस मुद्दे को लेकर असम और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों ने भी गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। मुलाकात में दोनों मुख्यमंत्रियों ने इस मुद्दे पर गृहमंत्री को राज्य के स्थानीय लोगों की आपत्तियों से अवगत कराया। इनमें पूर्वोत्तर राज्य के लोगों के सांस्कृतिक और भाषाई पहचान और विरासत को खतरे वाली आपत्तियां शामिल थी। इस पर राजनाथ सिंह ने दोनों मुख्यमंत्रियों को स्थानीय लोगों के सभी अधिकारों की सुरक्षा का आश्वासन दिया।

इस सम्बंध में जल्द ही गृहमंत्री पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक भी करने वाले हैं, जिसमें इन राज्यों में इस बिल को लेकर उठ रही आपत्तियों पर चर्चा होगी।

बता दें कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने नागरिकता संशोधन बिल इस शीत सत्र में लोकसभा से पास कर दिया गया है। यह बिल नागरिकता बिल, 1955 की जगह लेगा। संशोधित बिल के बाद भारत सरकार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश  के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को छह साल भारत में गुजारने पर भारतीय नागरिकता प्रदान कर सकेगी। पहले यह जरूरी अवधि 12 साल थी। साथ ही इसके लिए जरूरी दस्तावेज भी अब अनिवार्य नहीं होंगे।

नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास होने के बाद अब बजट सत्र में राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में केन्द्र सरकार का जमकर विरोध हो रहा है। खासकर असम में प्रदर्शन का स्तर व्यापक है। कुछ जगहों पर प्रदर्शनों ने हिंसक रूप भी लिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बिल में संशोधन से हमारी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान और विरासत को खतरा है। बांग्लादेश से हो रही अवैध घुसपैठ पूर्वोत्तर राज्यों को बर्बाद कर रही है, ऐसे में इस संशोधित बिल से अवैध घुसपैठ को और बढ़ावा मिलेगा।

Created On :   17 Jan 2019 2:26 PM GMT

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